चंद्रकांता: कैंसर और पैरालाइज को हराकर गोल्ड मेडल
लखनऊ की चंद्रकांता चानना ने 60 साल की उम्र में बोन कैंसर और एक पैर पैरालाइज होने के बावजूद एथलेटिक्स में नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीतकर मिसाल कायम की है। 36 कीमोथेरेपी के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और धर्मशाला में जैवलिन थ्रो में चौथा स्थान मिलने के बाद उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। 9वीं कक्षा तक शॉटपुट और डिस्कस थ्रो करने वाली चंद्रकांता ने शादी के 37 साल बाद दोबारा खेलना शुरू किया और 2018 में चंडीगढ़ में गोल्ड मेडल जीता। 2020 में कैंसर का पता चलने के बाद भी उन्होंने खेल जारी रखा। 2018 से 2025 तक उन्होंने कुल 20 गोल्ड मेडल जीते हैं.

चंद्रकांता ने बताया कि 36 कीमोथेरेपी के बाद उनका एक पैर पैरालाइज हो गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। धर्मशाला में जैवलिन थ्रो में चौथा स्थान मिलने के बाद भी उन्हें आयोजकों ने गोल्ड मेडल से सम्मानित किया, क्योंकि उन्होंने कैंसर और पैरालाइज पैर के बावजूद खेल में हिस्सा लिया था।
9वीं कक्षा तक शॉटपुट और डिस्कस थ्रो करने वाली चंद्रकांता की शादी के बाद खेल छूट गया था। 37 साल बाद अखबार में खबर देखकर उन्होंने दोबारा खेलना शुरू किया। राधे श्याम ने उन्हें मास्टर्स गेम्स में खेलने की सलाह दी, जिसके बाद उन्होंने 2018 में चंडीगढ़ में गोल्ड मेडल जीता। 2020 में कैंसर का पता चलने के बाद भी उन्होंने खेल जारी रखा और कई बार कीमोथेरेपी को भी छोड़ दिया। डॉ. सविता सिंह ने इस दौरान उनका पूरा साथ दिया।
चंद्रकांता 2018 से 2025 तक कुल 20 गोल्ड, 7 सिल्वर और 7 ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं। अब वह शिरडी और नासिक में होने वाले मास्टर्स गेम्स की तैयारी कर रही हैं।