क्या पीरियड्स में पूजा वर्जित है? प्रेमानंद महाराज का जवाब सुनकर आप चौंक जाएंगे!

Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज के विचार में, मासिक धर्म एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है। इन दिनों मंदिर में जाना या पूजा की वस्तुओं को छूना वर्जित है। हालांकि, इस समय भक्ति और नामजप को नहीं छोड़ना चाहिए।

Dec 2, 2025 - 12:16
क्या पीरियड्स में पूजा वर्जित है? प्रेमानंद महाराज का जवाब सुनकर आप चौंक जाएंगे!

हमेशा से यह कहा जाता रहा है कि पीरियड्स या मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को मंदिर नहीं जाना चाहिए और पूजा नहीं करनी चाहिए। वास्तव में, कई व्यक्तियों का मानना है कि मासिक धर्म और पीरियड्स के दौरान महिलाओं का शारीरिक स्वास्थ्य काफी कमजोर हो जाता है, जिसके चलते उन्हें इस समय आराम करने की सलाह दी जाती है। शास्त्रों में भी मासिक धर्म से संबंधित कई नियमों का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा, वृंदावन मथुरा के प्रसिद्ध प्रेमानंद महाराज ने भी मासिक धर्म के नियमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि इस दौरान पूजा करना चाहिए या नहीं।

क्या पीरियड्स में पूजा करनी चाहिए?

प्रेमानंद महाराज ने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि, 'मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो हर महिला के शरीर में स्वाभाविक रूप से होती है। यह हर महीने एक बार होती है और शरीर के शुद्धिकरण का प्रतीक है। इस अवधि में महिला को स्नान कर खुद को स्वच्छ रखना चाहिए और श्रद्धा के साथ भगवान के दर्शन दूर से करना चाहिए। इस समय पूजा सामग्री को सीधे छूने या मंदिर में सेवा करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन मन में भक्ति और श्रद्धा बनी रहनी चाहिए। भगवान तक पहुँचने के लिए शारीरिक निकटता की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि भावनात्मक शुद्धता सबसे बड़ा माध्यम होती है।

मासिक धर्म एक शारीरिक प्रक्रिया है

आगे प्रेमानंद महाराज ने कहा कि, 'शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि मासिक धर्म के पहले तीन दिनों में महिलाओं को भगवान का प्रसाद नहीं बनाना चाहिए। यदि कोई महिला गृहस्थ है, तो उसे इस मासिक प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार, इन तीन दिनों में महिला को पूरी तरह से विश्राम करना चाहिए और धार्मिक कार्यों से दूर रहकर केवल ईश्वर का नाम जपना चाहिए।

मासिक धर्म के नियम

अंत में प्रेमानंद महाराज ने बताया कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं और बहनों को तीन दिनों तक मन से ठाकुर जी का नाम जप, भजन और भक्ति पूरे मन से करनी चाहिए। किसी भी स्थिति में भजन को नहीं छोड़ना चाहिए।