पति-पत्नी पर प्रेमानंद महाराज की चेतावनी: कब अलग होना उचित, जानें असली वजह

Premanand Maharaj on Husband Wife relationships: वृंदावन के प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि पति-पत्नी का रिश्ता बहुत पवित्र होता है उसे हमेशा अटूट रखना चाहिए. लेकिन पति और पत्नी को भी कभी भी एक स्थिति में अपने जीवनसाथी के साथ नहीं रहना चाहिए.

Dec 12, 2025 - 12:43
पति-पत्नी पर प्रेमानंद महाराज की चेतावनी: कब अलग होना उचित, जानें असली वजह

वृंदावन के प्रसिद्ध स्वामी प्रेमानंद महाराज, जिनके प्रवचन सुनने के लिए लोग मीलों का सफर तय करते हैं, ने एक बार अपने discourse में पति‑पत्नी के रिश्ते को लेकर बेहद चौंकाने वाली और जीवन बदल देने वाली बातें कहीं। उन्होंने जोर देकर बताया कि यह संबंध जितना पवित्र है, उतना ही नाज़ुक भी है, और इसे किसी भी परिस्थिति में हल्के में नहीं लेना चाहिए। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि कौन सी खतरनाक स्थिति में जीवनसाथियों को एक-दूसरे से दूरी बना लेनी चाहिए।

अगर ये घातक दोष दिखें, तो रिश्ता तुरंत तोड़ दें

महाराजजी कहते हैं, “यदि पति अपनी मर्यादा भूलकर व्यभिचार में लिप्त हो जाए, यानी अपने साथी के अलावा किसी और से अवैध संबंध बनाए, तो ऐसे पुरुष का त्याग करना ही जीवन रक्षा के समान है। यदि पत्नी भी इसी राह पर चली जाए, तो उससे तुरंत संबंध विच्छेद कर देना चाहिए, क्योंकि ऐसे व्यवहार से जीवन में भारी संकट खड़ा हो सकता है।”

साथ ही वे यह भी समझाते हैं कि रिश्ते की असली शक्ति एक-दूसरे के दोष नहीं, बल्कि प्रेम, सहनशीलता और क्षमा में छिपी होती है। सच्चे जीवनसाथी वही कहलाते हैं जो कठिनाइयों में साथ खड़े रहें और छोटी-मोटी गलतियों को दिल से न लगाएँ।

महाराजजी का कहना है कि पत्नी को चाहे जितना भी गुस्सा आ जाए या पति-पत्नी के बीच तकरार हो जाए, फिर भी त्याग का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। लेकिन वे यह भी चेतावनी देते हैं कि पति चाहे कितना भी सुंदर, धनवान या प्रभावशाली क्यों न हो, अगर वह चरित्रहीन है तो उसके साथ रहना विनाश को निमंत्रण देने जैसा है।

“पूजा में इतना मत खो जाइए कि घर उजड़ जाए”

वे आगे सलाह देते हैं, “दंपति अपनी भक्ति को दुनिया से नहीं, बल्कि एक-दूसरे की भावनाओं से छुपाएँ। भक्ति इतनी भी न हो कि आपका साथी ही उससे परेशान होकर दूर होने लगे। भक्ति का काम जोड़ना है, तोड़ना नहीं। यह तलाक नहीं करवाती, बल्कि परिवार बचाती है। दिनभर घर में पूजा स्थापित कर देना और साथी को कष्ट में डालना गलती है। असली पूजा तो भीतर राधा-नाम का स्मरण करने में है।”

पति‑पत्नी के रिश्तों पर स्वामी प्रेमानंद महाराज के ये विचार आज भी लाखों लोगों के दिल को छूते हैं और वैवाहिक जीवन को समझने का एक नया दृष्टिकोण देते हैं।