बिहार का ‘मॉडल अस्पताल’ अंधेरे में डूबा, मोबाइल टॉर्च की रोशनी में डॉक्टरों ने बचाई ज़िंदगियाँ
गोपालगंज के मॉडल सदर अस्पताल में रविवार रात अचानक लाइट कट गई. बिजली आपूर्ति करीब एक घंटे तक बाधित रही. जिससे मरीजों में दहशत फैल गई और डॉक्टरों ने मोबाइल के टॉर्च में मरीजों का इलाज किया.
बिहार के गोपालगंज में स्थित मॉडल सदर अस्पताल से एक बार फिर चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है. अचानक बिजली गुल होने के बाद पूरा इमरजेंसी वार्ड अंधेरे में डूब गया और डॉक्टरों को मजबूरन मोबाइल व टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज करना पड़ा. करीब एक घंटे तक अस्पताल अंधेरे में सन्नाटा पसरा रहा, जबकि लोग घबराए हुए इस नजारे को वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालते रहे. यह वीडियो तेजी से वायरल होकर स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.
अत्याधुनिक अस्पताल की पोल खुली
गोपालगंज का मॉडल सदर अस्पताल खुद को आधुनिक सुविधाओं से लैस बताता है और इसी भरोसे पर रोज सैकड़ों मरीज यहां इलाज कराने पहुंचते हैं. लेकिन रविवार की शाम यहां अचानक बिजली बंद होते ही सारे वादे ध्वस्त हो गए. वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल प्रशासन इस शर्मनाक घटना पर खामोश है, जिससे लोगों का गुस्सा और बढ़ने लगा है.
जानकारी के मुताबिक इमरजेंसी वार्ड में बिजली बाधित होने के कुछ ही मिनटों बाद डॉक्टर मोबाइल का टॉर्च ऑन कर मरीजों को देखने में जुट गए. नर्सें भी हाथ में टॉर्च लेकर अपना काम संभालने लगीं. अंधेरे में यह अव्यवस्था देखकर मरीज और उनके परिजन दहशत और बेबसी में एक-दूसरे को देखते रह गए.
सोशल मीडिया पर धड़ाधड़ वायरल हुआ वीडियो
अंधेरे में हो रहे इलाज का पूरा वाकया किसी ने अपने मोबाइल में कैद कर लिया और देखते ही देखते वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया. वीडियो में साफ दिखता है कि पूरे कमरे में सिर्फ मोबाइल की टॉर्च की रोशनी है और उसी में डॉक्टर मरीजों की जांच कर रहे हैं. लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इस हालात में कोई इलाज सुरक्षित कैसे हो सकता है.
परिजनों ने जमकर फटकारा सिस्टम
तीरवीरवां गांव के इरफान अली, जो अपने परिजन का इलाज कराने पहुंचे थे, ने बताया कि वे भरोसे के साथ यहां आए थे, लेकिन अंधेरे में उपचार देख उनका भरोसा टूट गया. उन्होंने कहा कि बिना रोशनी के इलाज कैसे संभव है और मोबाइल की टॉर्च से कौन-सी सुविधा दी जा सकती है. वहीं उपेंद्र सिंह ने अस्पताल पर आरोप लगाया कि यहां बिजली की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है, जिससे मरीज जान जोखिम में डालकर इलाज करवा रहे हैं.