कड़कनाथ आलू: काले मुर्गे के बाद अब काले आलू की बारी, बिहार के किसान कर रहे कमाल!
बिहार में कड़कनाथ आलू की खेती शुरू हो गई है। सीतामढ़ी के किसान काले गेहूं और चावल के बाद अब काले आलू की खेती कर रहे हैं। किसान भोला बिहारी ने बताया कि काला आलू एंथोसाइनिन्स, एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन सी और फाइबर से भरपूर होता है, जो हृदय, सूजन और कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है। काला आलू पाचन में सुधार करता है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। बाजार में काला आलू 200 से 300 रुपये प्रति किलो बिकता है, जबकि सामान्य आलू 25-30 रुपये प्रति किलो। काले आलू की खेती के लिए दोमट और बलुई मिट्टी उपयुक्त है। बुवाई का सबसे अच्छा समय 15 से 25 सितंबर के बीच है।

सीतामढ़ी के किसानों से प्रेरणा लें: कई किसान खेती को फायदे का सौदा न मानकर अन्य क्षेत्रों में चले गए हैं। सीतामढ़ी के किसान नई तकनीकों का उपयोग करके दिखा रहे हैं कि खेती अभी भी लाभदायक है।
काले आलू की खेती की शुरुआत: जागरूक किसान लगातार नए प्रयोग करते रहते हैं। सीतामढ़ी जिले के कुछ किसान अब काले गेहूं और चावल के बाद काले आलू की खेती कर रहे हैं।
कौन कर रहा है काले आलू की खेती: डुमरा प्रखंड के भूपभैरो पैक्स अध्यक्ष भोला बिहारी जैसे किसान काले आलू की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि काला आलू एंथोसाइनिन्स, एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन सी और फाइबर से भरपूर होता है। यह हृदय के लिए अच्छा है, सूजन को कम करता है और कैंसर के खतरे को कम करता है।
काला आलू फाइबर से भरपूर: काला आलू पाचन में सुधार करता है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। भोला बिहारी ने बताया कि उन्होंने परीक्षण के तौर पर इसकी खेती शुरू की और गया जिले से बीज प्राप्त किया। उन्होंने दो धुर जमीन में यह आलू लगाया और लगभग 60 किलो की पैदावार हुई।
कीमत: काला आलू 200 से 300 रुपये प्रति किलो बिकता है, जबकि सामान्य आलू 25-30 रुपये प्रति किलो। भोला बिहारी का मानना है कि काले आलू की खेती से तीन से चार गुना अधिक आय हो सकती है।
खेती कैसे करें: काले आलू की खेती के लिए दोमट और बलुई मिट्टी उपयुक्त है। बुवाई का सबसे अच्छा समय 15 से 25 सितंबर के बीच है। यह ज्यादातर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तरी राज्यों के ठंडे पहाड़ी इलाकों में उगाया जाता है।
कृषि अधिकारी का कहना: जिला कृषि पदाधिकारी ब्रजेश कुमार के अनुसार, काला आलू औषधीय गुणों से भरपूर है और किसानों के लिए लाभदायक है।