आधार और वोटर आईडी लिंकिंग: चुनाव आयोग की बड़ी बैठक

चुनाव आयोग अगले सप्ताह आधार और वोटर आईडी को जोड़ने के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहा है। बैठक में गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और UIDAI के अधिकारी भाग लेंगे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य वोटर लिस्ट से फर्जी नाम हटाना है। चुनाव आयोग ने कहा है कि डुप्लिकेट नंबर होने का मतलब फर्जी वोटर नहीं है। आधार को EPIC से जोड़ने से फर्जी वोटिंग रुक सकती है और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। हालांकि, कुछ लोग इस कदम पर प्राइवेसी की चिंता भी जता रहे हैं। चुनाव आयोग इस मुद्दे पर सभी पक्षों से बातचीत करेगा।

Mar 16, 2025 - 08:36
आधार और वोटर आईडी लिंकिंग: चुनाव आयोग की बड़ी बैठक
आधार और वोटर आईडी को लिंक करने के विषय पर चुनाव आयोग अगले सप्ताह एक महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहा है। इस बैठक में गृह मंत्रालय के अधिकारियों और अन्य संबंधित विभागों के उच्च अधिकारी भी शामिल होंगे। यह बैठक 18 मार्च को निर्धारित है। वर्तमान में, आधार और वोटर आईडी को जोड़ने की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई है, और इस बैठक में इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लिए जाने की संभावना है।

नई दिल्ली से मिली जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग अगले सप्ताह एक महत्वपूर्ण सभा का आयोजन करने जा रहा है। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय, और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के उच्च पदस्थ अधिकारी भाग लेंगे। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, यह बैठक मुख्य रूप से आधार कार्ड को वोटर आईडी कार्ड से जोड़ने के विषय पर केंद्रित होगी। 2021 में, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन के बाद, आधार को EPIC (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड) से जोड़ने की अनुमति प्रदान की गई थी। इसके बाद, चुनाव आयोग ने स्वैच्छिक आधार पर मतदाताओं से उनके आधार नंबर प्राप्त करना शुरू कर दिया था। हालांकि, अभी तक इन दोनों डेटाबेस को आपस में जोड़ा नहीं गया है।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य वोटर लिस्ट से अमान्य नामों को हटाकर इसे स्वच्छ और त्रुटि रहित बनाना है। इसके लिए आधार और वोटर कार्ड को जोड़ना अनिवार्य नहीं था। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू, और चुनाव आयुक्त विवेक जोशी 18 मार्च को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, विधायी विभाग के सचिव राजीव मणि, और UIDAI के सीईओ भुवनेश कुमार के साथ विचार-विमर्श करेंगे।

इस बैठक में, आधार को EPIC से जोड़ने की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में मतदाताओं के EPIC नंबरों में समानता का मुद्दा उठाया है। चुनाव आयोग ने यह स्वीकार किया है कि कुछ राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने EPIC नंबर जारी करते समय गलत अल्फान्यूमेरिक सीरीज का उपयोग किया था।

चुनाव आयोग ने हाल ही में यह निर्णय लिया है कि वह तीन महीने के भीतर डुप्लिकेट नंबर वाले मतदाताओं को नए EPIC नंबर जारी करेगा। आयोग ने स्पष्ट किया है कि डुप्लिकेट नंबर होने का अर्थ यह नहीं है कि मतदाता फर्जी है। केवल वे व्यक्ति ही मतदान कर सकते हैं जिनका नाम किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत है। आधार को EPIC से जोड़ने का मुख्य लक्ष्य वोटर लिस्ट को त्रुटि रहित बनाना है, जिससे फर्जी मतदाताओं की पहचान करने में सहायता मिलेगी।

आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक करने के कई संभावित लाभ हैं। उदाहरण के लिए, इससे फर्जी मतदान को रोका जा सकता है, और एक व्यक्ति द्वारा एक से अधिक स्थानों पर मतदान करने की संभावना कम हो जाएगी। इसके अतिरिक्त, वोटर लिस्ट में एक ही व्यक्ति के नाम की कई बार प्रविष्टि की समस्या भी समाप्त हो जाएगी। चुनाव आयोग का मानना है कि इस कदम से चुनाव प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता आएगी।

हालांकि, कुछ व्यक्तियों ने इस कदम पर गोपनीयता संबंधी चिंताएं व्यक्त की हैं। उनका मानना है कि इससे व्यक्तिगत जानकारी के लीक होने का खतरा बढ़ सकता है, और वे निजता के उल्लंघन को लेकर चिंतित हैं। उनका तर्क है कि आधार जैसी संवेदनशील जानकारी को वोटर आईडी से जोड़ना जोखिम भरा हो सकता है और यह नागरिकों के निजता के अधिकार का उल्लंघन भी कर सकता है।

चुनाव आयोग ने इस मामले पर सभी संबंधित पक्षों के साथ चर्चा करने का निर्णय लिया है। इसलिए, गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय, और UIDAI के अधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विस्तार से विचार किया जाएगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चुनाव आयोग इस मुद्दे को किस प्रकार संभालता है। आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने का निर्णय महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ सकती है, लेकिन नागरिकों की गोपनीयता की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। भविष्य में इस विषय पर और अधिक चर्चा होने की संभावना है।