न्यायपालिका में जातिगत भेदभाव: मोची के बेटे को निशाना बनाने पर SC सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका में जातिगत भेदभाव की कड़ी निंदा करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि एक न्यायिक अधिकारी को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह मोची का बेटा था। जस्टिस सूर्यकांत ने इस मामले पर दुख जताते हुए कहा कि यह कब तक चलता रहेगा? उन्होंने कहा कि पंजाब में न्यायपालिका में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इस न्यायिक अधिकारी को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह निचली जाति से ताल्लुक रखते हैं। प्रेम कुमार को सेवा में तत्काल बहाल करने का आदेश दिया गया।

जस्टिस सूर्यकांत ने इस मामले पर दुख जताते हुए कहा कि यह कब तक चलता रहेगा? उन्होंने कहा कि पंजाब में न्यायपालिका में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इस न्यायिक अधिकारी को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह निचली जाति से ताल्लुक रखते हैं।
जस्टिस कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने प्रेम कुमार की एसीआर का अवलोकन किया। प्रेम कुमार 2014 में पंजाब में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के पद पर सीधी भर्ती थे। शीर्ष अदालत ने कहा कि उनके ट्रैक रिकॉर्ड और ईमानदारी को पर्यवेक्षक जज ने अच्छा कहा था।
प्रेम कुमार के लिए प्रदर्शन और ईमानदारी का रोलरकोस्टर मूल्यांकन नियमित हो गया और अप्रैल 2022 में, प्रशासनिक पक्ष में HC ने उनकी सेवाओं को समाप्त कर दिया। अपनी गरिमा की रक्षा के लिए, कुमार ने एक रिट याचिका के माध्यम से HC के समक्ष अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी।
इस साल जनवरी में, हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने रिट याचिका को स्वीकार कर लिया, पूर्ण न्यायालय की 7 मार्च, 2022 की सिफारिश को रद्द कर दिया और साथ ही 20 अप्रैल, 2022 के आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने खंडपीठ के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
अपील को खारिज करते हुए, जस्टिस कांत की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि वह एक निचली जाति से ताल्लुक रखते हैं, उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। यह हाईकोर्ट में एक बड़ी समस्या है। हाईकोर्ट को अपने न्यायिक अधिकारियों के साथ निष्पक्ष व्यवहार करना चाहिए।