रायबरेली में होली पर शोक: 28 गांवों की अनूठी परंपरा

रायबरेली के 28 गांवों में होली पर शोक मनाया जाता है, क्योंकि यहां 700 साल पुरानी परंपरा है। राजा डल के बलिदान के कारण, इन गांवों के लोग होली के तीन दिन बाद रंग खेलते हैं। 1321 ईस्वी पूर्व में, जौनपुर के राजा शाह शर्की की सेना ने डलमऊ के किले पर आक्रमण किया, जिसमें राजा डलदेव और उनके 200 सैनिक शहीद हो गए थे। इसलिए, इन गांवों में होली के दिन शोक मनाया जाता है।

Mar 12, 2025 - 16:31
रायबरेली में होली पर शोक: 28 गांवों की अनूठी परंपरा
रायबरेली जिले के डलमऊ क्षेत्र में, 28 गांवों के निवासी होली के आगमन पर शोक मनाते हैं। वे रंगों का त्योहार, होली, सामान्य उत्सव के तीन दिन बाद मनाते हैं। यह अनोखी परंपरा लगभग 700 साल पहले शुरू हुई थी, जो राजा डल के बलिदान की याद दिलाती है।

कहा जाता है कि 1321 ईस्वी पूर्व में, जब राजा डलदेव होली मना रहे थे, जौनपुर के राजा शाह शर्की की सेना ने डलमऊ किले पर हमला कर दिया। राजा डलदेव अपने 200 सैनिकों के साथ वीरतापूर्वक लड़े, लेकिन पखरौली गांव के पास युद्ध में उनकी जान चली गई। इस लड़ाई में राजा डलदेव के 200 सैनिक शहीद हो गए, जबकि शाह शर्की के 2,000 सैनिक मारे गए।

आज भी, डलमऊ तहसील क्षेत्र के 28 गांवों में, होली का त्योहार राजा डलदेव और उनके सैनिकों के बलिदान की याद दिलाता है। इस कारण, इन गांवों के लोग होली के दिन शोक मनाते हैं और तीन दिनों तक रंगों से दूर रहते हैं, जिसके बाद वे रंगों का त्योहार मनाते हैं। यह परंपरा राजा के प्रति सम्मान और उनकी बहादुरी की याद में मनाई जाती है।