मोदी ने क्यों सराहा चीनी विद्वान को, योग के प्रचार में योगदान की वजह?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के विद्वान प्रोफेसर वांग झीचेंग को पत्र लिखकर योग को बढ़ावा देने के लिए सराहा। वाणिज्य दूत प्रतीक माथुर ने प्रोफेसर वांग को पत्र सौंपा, जो भारत-चीन सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक है। मोदी ने वांग के भारतीय दर्शन को समझाने के प्रयासों की सराहना की। वांग ने 2016 में मोदी को भगवत गीता का अनुवाद भेंट किया, जिससे चीन में योग की लोकप्रियता बढ़ी, योग चीनी शहरों में लोकप्रिय हुआ, और लाखों लोग इसमें भाग लेते हैं। योग भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग बन गया है।

Apr 14, 2025 - 16:35
मोदी ने क्यों सराहा चीनी विद्वान को, योग के प्रचार में योगदान की वजह?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के विद्वान प्रोफेसर वांग झीचेंग को पत्र लिखकर उनकी योग, वेदांत और भारतीय संस्कृति को चीन में लोकप्रिय बनाने के प्रयासों की प्रशंसा की है। हांग्जो में भारत के वाणिज्य दूत प्रतीक माथुर ने प्रोफेसर वांग को यह पत्र सौंपा। यह घटना भारत और चीन के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक है, खासकर जब दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत और चीन के सांस्कृतिक संबंधों को और भी अधिक मजबूत करना है। चीन में योग की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, और अब लाखों लोग इस अभ्यास को अपना रहे हैं। योग भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न और गहरा हिस्सा बन चुका है।

नई दिल्ली में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोफेसर वांग झीचेंग को पत्र लिखकर उनकी सराहना की। प्रोफेसर वांग, जो भारत के एक बड़े प्रशंसक हैं, को मोदी ने उनके योग, वेदांत और भारतीय संस्कृति को चीन में लोकप्रिय बनाने के प्रयासों के लिए सराहा। वाणिज्य दूत प्रतीक माथुर ने हांग्जो में झेजियांग विश्वविद्यालय के परिसर में आयोजित एक समारोह में प्रोफेसर वांग को प्रधानमंत्री का यह विशेष पत्र सौंपा। यह घटना भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर इस वर्ष जब दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। मोदी ने अपने पत्र में वांग द्वारा भारतीय दर्शन को समझाने के प्रयासों की विशेष रूप से सराहना की, जिसमें योग और वेदांत पर किए गए उनके कार्यों की प्रशंसा शामिल है।

वाणिज्य दूत माथुर ने प्रोफेसर वांग के 'भारतीय संस्कृति को लोकप्रिय बनाने के अथक प्रयासों' की सराहना करते हुए कहा कि योग सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक शक्तिशाली माध्यम बन गया है। वाणिज्य दूतावास ने माथुर के हवाले से कहा, 'प्रोफेसर वांग का योगदान भारत और चीन की साझा आकांक्षाओं का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, क्योंकि हम अपने इतिहास और परंपराओं के माध्यम से एक दूसरे के साथ जुड़ना चाहते हैं।' माथुर ने यह भी कहा कि 'चीन में योग की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि यह सभी को आकर्षित करता है और हमारे लोगों को करीब लाने में सक्षम है।'

इस लेख में एक प्रश्न पूछा गया है कि क्या आप मानते हैं कि योग भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में सहायक हो सकता है? जिसके चार संभावित उत्तर हैं: हां, बिल्कुल; नहीं, नहीं लगता; शायद; और मुझे नहीं पता।

प्रोफेसर वांग ने 2016 में हांग्जो में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को भगवत गीता का अपना अनुवाद भेंट किया था। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप चीन में योग की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है, और यह अब शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक लोकप्रिय अभ्यास बन गया है। पिछले एक दशक में, योग चीनी शहरों में तेजी से लोकप्रिय हुआ है, और लाखों लोग नियमित रूप से कक्षाओं, कार्यशालाओं और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जैसे आयोजनों में भाग लेते हैं। योग और भारतीय संस्कृति का प्रभाव अब केवल शारीरिक व्यायाम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह चीनी समाज में गहराई से समाहित हो गया है।