उड्डयन मंत्री का करोड़ों जैसा सख्त अलर्ट: IndiGo की नीयत साबित हुई तो जानें क्या होगा
एजेंडा आज तक 2025 के सत्र में नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने IndiGo एयरलाइंस के हजारों यात्रियों को हुई बड़ी परेशानी पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह पूरा संकट इंडिगो के आंतरिक कुप्रबंधन का नतीजा है, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा झेलनी पड़ी। मंत्री ने स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करते हुए एयरलाइंस से जवाबदेही और सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। यह मुद्दा देश में एयर ट्रैवल की विश्वसनीयता पर भी एक महत्वपूर्ण सवाल उठाता है।
पिछले कई दिनों से इंडिगो एयरलाइंस की उड़ानें जिस तरह लड़खड़ा गई हैं, उसने देशभर के हजारों यात्रियों की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं. लगातार कैंसिलेशन और देरी के बीच अब नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने बेहद कड़े शब्दों में इंडिगो के सीईओ को चेतावनी दे डाली है. मंत्री ने साफ कहा कि अगर जांच में एक प्रतिशत भी यह संकेत मिला कि यह संकट जानबूझकर पैदा किया गया है, तो सरकार सबसे सख्त कार्रवाई करने में एक पल भी नहीं लगाएगी.
‘एजेंडा आज तक 2025’ के मंच पर पहुंचे मंत्री नायडू ने इंडिगो की व्यवस्थाओं को कटघरे में खड़ा करते हुए बताया कि हालिया अफरा-तफरी एयरलाइन के अंदरूनी कुप्रबंधन का नतीजा है. नई गाइडलाइंस लागू होने के बाद भी इंडिगो अपना रोस्टर समय पर और सही तरीके से नहीं बना पाई, जिसके कारण उड़ानें रोकनी पड़ीं और सैकड़ों यात्रियों की योजनाएं बिगड़ती चली गईं. उन्होंने कहा कि एक छोटी सी लापरवाही कैसे राष्ट्रीय स्तर का संकट बन गई, यह सबके सामने है.
मंत्री ने आगे कहा कि इंडिगो के इंटरनल क्रू रोस्टरिंग सिस्टम में ऐसी खामियां थीं, जिन्हें FDTL यानी फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन के नियमों के अनुसार आसानी से सुधारा जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया और नतीजा यह हुआ कि 3 और 4 दिसंबर को फ्लाइटें धड़ाधड़ कैंसिल होती गईं, मानो एक डोमिनो इफेक्ट शुरू हो चुका हो. इस स्थिति ने ना केवल यात्रियों की यात्रा बिगाड़ी, बल्कि एयरलाइन की विश्वसनीयता पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया.
जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार या DGCA इस पूरे समय सो रही थी, तो मंत्री ने साफ कहा कि नए FDTL नियम 1 नवंबर से लागू हो चुके थे और एयरलाइन से लगातार बातचीत भी हो रही थी. शुरुआती दिनों में कैंसिलेशन सामान्य थे और कुछ समय बाद स्थिति स्थिर भी दिखी, इसलिए किसी बड़ी गड़बड़ी का संकेत नहीं मिला. लेकिन अचानक से उड़ानों का चरमराना बेहद चौंकाने वाला था.
मंत्री नायडू ने बताया कि 1 दिसंबर को मंत्रालय ने इंडिगो के अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक भी की थी, ताकि यह समझा जा सके कि नए नियमों से उन्हें कोई दिक्कत है या नहीं. लेकिन एयरलाइन ने कभी यह नहीं बताया कि अंदरूनी सिस्टम में कोई समस्या है. मंत्रालय ने हर स्तर पर नजर बनाए रखी और इंडिगो को कई मौके दिए कि वे अपनी चिंताओं को सामने रखें, मगर कंपनी की ओर से कोई चेतावनी नहीं दी गई.
मंत्री ने दो टूक कहा कि मंत्रालय का काम एयरलाइंस का रोस्टर बनाना नहीं है, बल्कि सुरक्षा सुनिश्चित करना है. एयरलाइन को खुद तय मानकों पर चलना होता है और FDTL नियम इसलिए लागू किए गए थे ताकि पायलट, क्रू और यात्रियों की सुरक्षा से कोई समझौता न हो. सभी एयरलाइंस ने भरोसा दिया था कि वे नियमों का पालन कर रही हैं, इंडिगो ने भी यही कहा — लेकिन इसका उल्टा सामने आया.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह लड़ाई सरकार बनाम इंडिगो की नहीं है, बल्कि उन आम लोगों की है जो समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचना चाहते थे. मंत्री ने कहा कि उनकी पहली जिम्मेदारी है कि उड़ान सेवाएं सामान्य हों और भविष्य में ऐसी अराजकता दोबारा न हो. इसी उद्देश्य से इंडिगो के पूरे मामले की विस्तृत जांच शुरू की गई है.
क्या इंडिगो ने सरकार को धोखा दिया?
जब मंत्री से सीधे पूछा गया कि क्या इंडिगो ने भारत सरकार को गुमराह किया है, तो उन्होंने बेहद कड़ा जवाब दिया. उनका कहना था कि ऐसा समाधान निकाला जाएगा कि आगे कोई भी एयरलाइन मंत्रालय को धोखा देने की कल्पना तक न कर सके. उन्होंने भरोसा दिलाया कि यह स्थिति दोबारा कभी नहीं होगी और इसकी पूरी जिम्मेदारी वे खुद लेते हैं. जांच रिपोर्ट के बाद सच सबके सामने आ जाएगा.
इंडिगो के सीईओ पर क्या होगा एक्शन?
जब यह सवाल उठा कि क्या सरकार किसी प्राइवेट एयरलाइन के सीईओ को बर्खास्त कर सकती है, तो मंत्री नायडू ने कहा कि हर कदम कानून के मुताबिक उठाया जाएगा. लेकिन जिस पैमाने पर आम लोगों को परेशानी हुई है, उसके लिए कड़ा एक्शन तय है. मंत्री ने दोहराया कि यदि जांच में यह साबित हुआ कि मामला जानबूझकर खड़ा किया गया, तो इंडिगो के सीईओ के खिलाफ भी बड़ा कदम उठाया जा सकता है और इस बारे में बातचीत एयरलाइन से सीधी होगी.