पाकिस्तान के नहरों पर बवाल: बिलावल और जरदारी ने सरकार को घेरा
पाकिस्तान में 'स्वेज नहर' कहे जाने वाली एक नहर परियोजना को लेकर विवाद बढ़ गया है, जिस पर बिलावल भुट्टो जरदारी और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने चिंता जताई है। बिलावल ने शहबाज शरीफ सरकार पर सिंधु नदी नहर परियोजनाओं पर एकतरफा फैसले लेने का आरोप लगाया, जिससे जनता को नुकसान होगा। उन्होंने जल वितरण नीतियों में सुधार की मांग की और कहा कि निर्णय सामूहिक सहमति से होने चाहिए। बिलावल ने खैबर-पख्तूनख्वा में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सरकार को घेरा और सुरक्षा बनाए रखने में प्रांतीय सरकार की विफलता की आलोचना की। उन्होंने अपने पिता की प्रशंसा करते हुए कहा कि पीपीपी नई नहरों के मुद्दे पर चिंता जताने वाली पहली पार्टी थी और सरकार से जल परियोजनाओं को पारदर्शिता और प्रांतीय सहमति से लागू करने का आग्रह किया।
बिलावल ने जल वितरण नीतियों में सुधार की मांग की और कहा कि ऐसे निर्णय सामूहिक सहमति से लिए जाने चाहिए, न कि किसी एक प्राधिकरण द्वारा। एक्सप्रेस न्यूज के अनुसार, बिलावल ने अपने पिता आसिफ अली जरदारी की चेतावनी को दोहराया, जिसमें उन्होंने सिंधु नदी से नहरों के निर्माण पर एकतरफा निर्णय लेने के खिलाफ सरकार को आगाह किया था। बिलावल ने कहा कि सिंधु नदी पाकिस्तान की जीवन रेखा है और इसके प्रबंधन से जुड़े किसी भी निर्णय में सभी प्रांतों की सलाह शामिल होनी चाहिए। जरदारी ने जल की कमी, जलवायु परिवर्तन और संसाधनों के उचित वितरण को लेकर चिंता जताई है।
बिलावल ने खैबर-पख्तूनख्वा (के-पी) में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर भी सरकार को घेरा और चेतावनी दी कि अगर प्रांतीय सरकार कार्रवाई करने में विफल रहती है, तो संघीय सरकार को हस्तक्षेप करना होगा। उन्होंने कहा कि पीपीपी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सुरक्षा संकट पर मिलकर विचार करेंगे। बिलावल ने के-पी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह सुरक्षा स्थिति को नियंत्रित करने में नाकाम रही है।
बिलावल ने अपने पिता की तारीफ करते हुए कहा कि जरदारी का संसद को संबोधित करना ऐतिहासिक था और उन्होंने अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और जल संसाधन प्रबंधन जैसे सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि पीपीपी नई नहरों के मुद्दे पर चिंता जताने वाली पहली पार्टी थी और उन्होंने विपक्षी दलों पर इस मुद्दे का राजनीतिक फायदा उठाने का आरोप लगाया। बिलावल ने सरकार से जरदारी की चिंताओं को सुनने और जल परियोजनाओं को पारदर्शिता और प्रांतीय सहमति से लागू करने का आग्रह किया।