द्रौपदी प्रसंग: दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला, महिला पति की संपत्ति नहीं

दिल्ली हाई कोर्ट ने व्यभिचार के एक मामले में महाभारत के द्रौपदी प्रसंग का हवाला देते हुए एक व्यक्ति को आरोपमुक्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पुराने कानून में महिला को पति की संपत्ति माना जाता था, जिसके विनाशकारी नतीजे महाभारत में दिखे। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने IPC की धारा 497 के तहत एडल्टरी के अपराध को असंवैधानिक बताते हुए इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विस्तार से चर्चा की। कोर्ट ने कहा कि ‘पुराने कानून’ में प्रावधान था कि केवल विवाहित महिला के पति की सहमति या मिलीभगत के अभाव में ही संबंधित अपराध माना जाता है। हाई कोर्ट ने कहा कि पुराने कानून अब संवैधानिक नैतिकता के अनुरूप नहीं हैं।

Apr 19, 2025 - 16:43
द्रौपदी प्रसंग: दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला, महिला पति की संपत्ति नहीं
दिल्ली हाई कोर्ट ने व्यभिचार के एक मामले की सुनवाई करते हुए महाभारत के द्रौपदी प्रसंग का उल्लेख किया। अदालत ने इस मामले में एक व्यक्ति को आरोपमुक्त करते हुए कहा कि पुराने कानूनों में महिलाओं को पति की संपत्ति समझा जाता था, जिसके विनाशकारी परिणाम महाभारत में देखने को मिले।

जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने IPC की धारा 497 के तहत व्यभिचार को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पुराने कानून के अनुसार, एक विवाहित महिला के पति की सहमति के बिना ही इसे अपराध माना जाता था। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला को पति की संपत्ति समझना गलत है, जैसा कि महाभारत में दिखाया गया है, जहां युधिष्ठिर ने द्रौपदी को जुए में दांव पर लगा दिया था।

कोर्ट ने आगे कहा कि महाभारत युद्ध, जो जुए में हार के बाद हुआ, एक महिला को संपत्ति मानने की मूर्खता का परिणाम था। सुप्रीम कोर्ट ने भी IPC की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित करके इस मानसिकता को बदलने में मदद की। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आरोपमुक्त करते हुए कहा कि पुराने कानून अब संवैधानिक नैतिकता के अनुरूप नहीं हैं और तर्कहीन हो गए हैं।