गैंगरेप के दोषियों को मिली 20 साल की सजा: कोर्ट का सख्त फैसला
दिल्ली की एक अदालत ने गैंगरेप के चार दोषियों को 20 साल की सजा सुनाई है। यह मामला 2015 का है, जिसमें दो महिलाओं ने एक लड़की को नौकरी का झांसा देकर किडनैप किया और उसे बेचने की योजना बनाई। लड़की ने हिम्मत दिखाकर भागकर अपनी जान बचाई। कोर्ट ने कहा कि दोषियों को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जा सकती।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश स्वाति कटियार की अदालत ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने जो क्रूर और अमानवीय काम किया है, उसे देखते हुए उन्हें कड़ी सजा देना जरूरी है।

दिल्ली की एक अदालत ने 2015 के एक मामले में गैंगरेप के चार दोषियों को 20 साल की सजा सुनाई है। इस मामले में, दो महिलाओं ने एक युवती को नौकरी का लालच देकर किडनैप किया और उसे बेचने की साजिश रची। युवती ने बहादुरी से भागकर अपनी जान बचाई। कोर्ट ने कहा कि दोषियों को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जा सकती।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश स्वाति कटियार की अदालत ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने जो क्रूर और अमानवीय काम किया है, उसे देखते हुए उन्हें कड़ी सजा देना जरूरी है ताकि यह दूसरों के लिए भी एक सबक हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि पीड़िता अपनी हिम्मत और इच्छाशक्ति से ही उस भयावह स्थिति से बच पाई, नहीं तो उसे बेच दिया जाता और उसके घर लौटने की कोई उम्मीद नहीं रहती।
अतिरिक्त लोक अभियोजक अंकित अग्रवाल ने अदालत को बताया कि शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित होने के बावजूद, युवती ने हिम्मत नहीं हारी और वहां से भाग निकली। कोर्ट ने आरोपियों बिजनेश और दिनेश को गैंगरेप, किडनैपिंग, बंधक बनाने और चोट पहुंचाने का दोषी पाया। दो महिलाओं रूबी और नेहा को भी किडनैपिंग और अन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया।
कोर्ट ने कहा कि अदालतों से यह उम्मीद की जाती है कि वे ऐसी सजा दें जो समाज की अंतरात्मा की आवाज को दर्शाए, और जहां कठोर सजा की जरूरत हो, वहां सजा देने की प्रक्रिया कठोर होनी चाहिए।