बिहार में चुनाव से पहले जातीय समीकरणों का खेल शुरू

बिहार में चुनावी माहौल गर्मा गया है, और एक बार फिर जातीय समीकरणों का खेल शुरू हो गया है। विकास की बातें पीछे छूट गई हैं, और राजनीतिक दल अपनी-अपनी जातियों को साधने में लगे हैं। जीतन राम मांझी ने दलित समागम किया, तो भाजपा कुर्मी वोटों पर ध्यान दे रही है। तेजस्वी यादव भी विभिन्न सम्मेलनों में भाग लेकर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच, नई पार्टियों का गठन भी हो रहा है, जो जातीय आधार पर अपनी राजनीतिक ताकत बनाने की कोशिश कर रही हैं। कुल मिलाकर, बिहार में 2025 के चुनाव से पहले ही जातीय राजनीति का रंग चढ़ गया है।

May 6, 2025 - 17:01
बिहार में चुनाव से पहले जातीय समीकरणों का खेल शुरू
पटना: बिहार में चुनावी चर्चाओं में विकास की बातें पीछे रह जाती हैं, और शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ध्यान कम दिया जाता है। सरकार चुनने के समय, जातीय समीकरणों और रैलियों का महत्व बढ़ जाता है। बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले ही, जातीय राजनीति शुरू हो गई है।

मोदी सरकार भले ही जातीय जनगणना कराने का विचार कर रही हो, लेकिन जातीय नेता पहले से ही अपनी-अपनी जातियों की गणना में लगे हैं। वर्तमान में, कई जातियों ने अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी है।

दलित समागम: हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने दलित समागम के माध्यम से अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। उन्होंने फरवरी 2025 में इस कार्यक्रम का आयोजन करके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी ताकत दिखाई।

कुर्मी चेतना रैली: बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, पटना में कुर्मी एकता रैली का आयोजन किया गया। इस रैली का आयोजन भाजपा के एक विधायक ने किया था, जिसका उद्देश्य कुर्मी वोटों को प्राप्त करना था। भाजपा, नीतीश कुमार के बाद कुर्मी वोट बैंक पर अपना प्रभाव स्थापित करना चाहती है।

तेली हुंकार रैली: फरवरी 2025 में मिलर स्कूल मैदान में तेली हुंकार रैली आयोजित की गई, जिसमें तेजस्वी यादव ने भी भाग लिया।

रविदास जयंती: फरवरी में रविंद्र भवन में रविदास समाज द्वारा एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें तेजस्वी ने भाग लेकर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की।

भामाशाह जयंती: महापुरुषों की जयंती के अवसर पर वोट बैंक की राजनीति फिर से शुरू हो गई है, और कई दलों ने भामाशाह जयंती मनाई।

पान महासंघ का आह्वान: अखिल भारतीय पान महासंघ ने पटना के गांधी मैदान में रैली की और ‘इंडियन इंकलाब पार्टी’ के गठन की घोषणा की।

मुसहर भुइयां सम्मेलन: 8 अप्रैल को श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में मुसहर भुइयां सम्मेलन हुआ, जहाँ तेजस्वी यादव ने इस वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की कोशिश की।