उत्तराखंड: पीएम मोदी का दौरा, सीमावर्ती गांवों में विकास की उम्मीद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तरकाशी दौरा यादगार होगा। वे पहले पीएम हैं जो चमोली और पिथौरागढ़ के बाद अब मुखबा और हर्षिल पहुंच रहे हैं। पीएम मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल जाएंगे। उनके दौरे से सीमावर्ती गांवों के विकास की उम्मीद है। चमोली जिला प्रशासन ने माणा गांव के ग्रामीणों के लिए देवताल जाने के लिए ऑनलाइन परमिट जारी करने की बात कही है। यदि केंद्र सरकार उत्तरकाशी के जादूंग से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करती है, तो यात्रा आसान होगी। 1962 से पहले यहां के ग्रामीणों का तिब्बत से सीधा व्यापार था, जो युद्ध के बाद बंद हो गया।

Mar 6, 2025 - 18:17
Mar 6, 2025 - 19:17
उत्तराखंड: पीएम मोदी का दौरा, सीमावर्ती गांवों में विकास की उम्मीद

उत्तराखंड में पीएम मोदी का दौरा कई मायनों में खास है। वह पहले प्रधानमंत्री हैं जो उत्तराखंड के चमोली और पिथौरागढ़ के बाद अब उत्तरकाशी के मुखबा और हर्षिल पहुंच रहे हैं।

पीएम मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पर जाएंगे। पिछले दो सालों में पीएम मोदी चमोली जनपद के माणा, पिथौरागढ़ जनपद के गुंजी के बाद अब उत्तरकाशी जिले के मुखबा और हर्षिल पहुंच रहे हैं। उनके दौरे से सीमावर्ती गांवों के विकास की उम्मीद है।

चमोली जिला प्रशासन ने माणा गांव के ग्रामीणों के लिए देवताल जाने के लिए ऑनलाइन परमिट जारी करने की बात कही है। केंद्र सरकार यदि पिथौरागढ़ के साथ चमोली जनपद माणा और नीति घाटी के साथ उत्तरकाशी के जादूंग से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करती है, तो यात्रा की दूरी कम होगी और लोगों की आर्थिकी मजबूत होगी।

माणा गांव के प्रधान प्रशासक पीतांबर मोल्फा का कहना है कि पीएम मोदी के 2022 में माणा गांव आने पर ग्रामीणों ने यह मांग रखी थी। माणा और नीति घाटी से कैलाश मानसरोवर की यात्रा कम समय में हो सकती है। इस मार्ग के अधिकांश हिस्से में सीमा को जोड़ने वाली सड़क बन गई है। मार्ग खुलने से तीर्थाटन और पर्यटन बढ़ेगा।

भारत तिब्बत सीमा से सटे उत्तराखंड के गांव माणा, कोपांग और गुंजी पहले देश के अंतिम गांव कहे जाते थे, लेकिन अब ये देश के पहले गांव के रूप में पहचाने जाते हैं। केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत इन गांवों का चयन हुआ है।

1962 में भारत चीन युद्ध से पहले यहां के ग्रामीणों का तिब्बत से सीधा व्यापारिक संबंध था। 1962 में युद्ध के बाद व्यापार और कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद है। 1976 में यात्रा फिर शुरू हुई, लेकिन कोविडकाल और चीन से संबंधों में तल्खी के बाद यह यात्रा फिर बंद हो गई।