बजरबट्टू सम्मेलन: कैलाश विजयवर्गीय बने फलाहारी बाबा, इंदौर में दिखा अद्भुत रूप

इंदौर में रंगपंचमी से पहले बजरबट्टू सम्मेलन में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय फलाहारी बाबा के रूप में नजर आए। उन्होंने फाग यात्रा में भाग लिया और राधा-कृष्ण की रासलीला का प्रदर्शन किया। विजयवर्गीय ने इंदौर को त्योहारों का शहर बताया और सनातन धर्म पर गर्व करने का संदेश दिया। रंगपंचमी से पहले हुए इस सम्मेलन में उन्होंने फलाहारी बाबा का रूप धारण करने का कारण प्रयागराज की शाही सवारी से प्रेरणा मिलना बताया। शहर में रंगों की धूम रही और ढोल-नगाड़ों से माहौल खुशनुमा रहा।

Mar 19, 2025 - 19:19
बजरबट्टू सम्मेलन: कैलाश विजयवर्गीय बने फलाहारी बाबा, इंदौर में दिखा अद्भुत रूप
इंदौर: रंगपंचमी से पहले इंदौर में बजरबट्टू सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय फलाहारी बाबा के रूप में दिखाई दिए। इसके बाद, एक भव्य फाग यात्रा निकाली गई, जिसमें राधा-कृष्ण की रासलीला का प्रदर्शन किया गया।

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि इंदौर त्योहारों का शहर है, और यहाँ की रंगपंचमी विशेष महत्व रखती है। उन्होंने सभी को सनातन धर्म और अपनी परंपराओं पर गर्व करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस दिन वे पार्टी कार्यकर्ताओं की बात सुनते हैं।

रंगपंचमी से एक दिन पहले, मंगलवार को इंदौर शहर में बजरबट्टू सम्मेलन का आयोजन किया गया। मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इस सम्मेलन में हमेशा की तरह अनोखे अंदाज में नजर आए। इस बार, उन्होंने श्री पितरेश्वर धाम के फलाहारी बाबा का रूप धारण किया था।

सम्मेलन के बाद, एक विशेष रथ पर फाग यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में राधा-कृष्ण की रासलीला का प्रदर्शन किया गया, और कलाकारों ने अपने पारंपरिक नृत्य से दर्शकों का मनोरंजन किया। शहर रंगों से सराबोर था, और ढोल-नगाड़ों ने उत्सव का माहौल बना दिया।

कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया से बात करते हुए इंदौर शहर की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इंदौर त्योहारों का शहर है और यहाँ की रंगपंचमी पूरे देश में अपनी पहचान बनाए हुए है। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें नहीं लगता कि दुनिया में कहीं और इस तरह से रंगपंचमी मनाई जाती है। इस दिन, पूरा शहर सड़कों पर उतर आता है, और लोग बिना किसी भेदभाव के एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और शुभकामनाएँ देते हैं।

मंत्री विजयवर्गीय ने बताया कि उन्होंने फलाहारी बाबा का रूप क्यों धारण किया। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में निकाली गई शाही सवारी से प्रेरित होकर उन्होंने यह रूप धारण किया। उन्होंने कहा कि वे इस रूप में शामिल होकर खुश हैं।