फतेहपुर की मदीना मस्जिद ध्वस्तीकरण पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फतेहपुर की मदीना मस्जिद के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाते हुए सरकार से जवाब मांगा है। सुन्नी मस्जिद कमेटी की याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश दिया। कमेटी का आरोप है कि तहसील प्रशासन ने मनमानी तरीके से ध्वस्तीकरण का आदेश दिया, जिसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 23 मई को होगी। मस्जिद कमेटी का दावा है कि कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया पर सख्त टिप्पणी की।

मस्जिद कमेटी का कहना है कि 1976 में मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जमीन आवंटित की थी। आरोप है कि तहसील प्रशासन ने मस्जिद के निर्माण को अवैध बताकर बिना कानूनी प्रक्रिया के गिराने का आदेश दे दिया। कमेटी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि तहसील प्रशासन ने मनमानी प्रक्रिया अपनाई और उन्हें साक्ष्य, गवाह और सुनवाई के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया।
कमेटी का यह भी कहना है कि उन्होंने जिला और तहसील प्रशासन में आपत्तियां दर्ज कराईं, लेकिन उन पर विचार नहीं किया गया। कमेटी के अनुसार, 1976 में वक्फ बोर्ड ने मस्जिद निर्माण के लिए जमीन आवंटित की थी, जहाँ वर्षों से नमाज़ अदा की जा रही है। प्रशासन ने इस भूमि को तालाबी नंबर बताकर कार्रवाई शुरू कर दी। कमेटी ने यह भी कहा कि मस्जिद के आस-पास की जमीनों पर भी कई लोगों ने कब्जा किया हुआ है, लेकिन प्रशासन ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की।
तहसील प्रशासन के ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने डीएम कोर्ट फतेहपुर में अपील की थी, जिसे जिलाधिकारी ने खारिज कर दिया। इसके बाद कमेटी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाई कोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 23 मई को निर्धारित की है। मस्जिद कमेटी का दावा है कि सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया पर सख्त टिप्पणी की।