विजय राज को यौन उत्पीड़न केस में मिली राहत

अभिनेता विजय राज को 5 साल पुराने यौन उत्पीड़न मामले में कोर्ट ने बरी कर दिया है। महाराष्ट्र की एक कोर्ट ने सुनवाई के बाद विजय राज को निर्दोष माना। 2021 में एक सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न का केस दर्ज करवाया था। 2020 में फिल्म 'शेरनी' की शूटिंग के दौरान एक सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उसी दिन जमानत मिल गई थी। अब कोर्ट ने विजय राज को निर्दोष घोषित कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के अपराध को साबित करने में विफल रहा।

May 17, 2025 - 11:18
विजय राज को यौन उत्पीड़न केस में मिली राहत
अभिनेता विजय राज को पांच साल पुराने यौन उत्पीड़न के मामले में न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया है। महाराष्ट्र के एक न्यायालय ने सुनवाई के बाद विजय राज को निर्दोष करार दिया और साक्ष्यों की कमी के कारण उन्हें बरी कर दिया गया। साल 2021 में उनके एक सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था।

ज्ञात हो कि साल 2020 में फिल्म 'शेरनी' की शूटिंग के दौरान विजय राज पर एक सहकर्मी द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे। सहकर्मी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। गोंदिया के रामनगर पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के अनुसार, यह घटना 25 अक्टूबर, 2020 की रात और 29 अक्टूबर, 2020 की सुबह के मध्य हुई थी। उस समय अभिनेता और पूरी टीम मध्य प्रदेश के बालाघाट में एक होटल में रुके हुए थे। शिकायत के बाद विजय राज को 4 नवंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था, हालांकि बाद में उसी दिन उन्हें जमानत भी मिल गई थी।

उस समय 'बॉलीवुड हंगामा' को 'शेरनी' के एक क्रू सदस्य ने बताया था कि घटना वाले दिन क्या हुआ था। उनके अनुसार, सेट पर 30 लोग थे और सभी के सामने वह घटना हुई। क्रू सदस्य ने बताया था कि विजय राज ने उस महिला की बांह पकड़कर खींची थी, जिससे वह क्रोधित हो गई थी। साथ ही यह भी कहा गया था कि विजय राज ने उसके साथ कोई यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ नहीं की थी।

इस वजह से अभिनेता विजय राज को कई परियोजनाओं से हाथ धोना पड़ा, और उन्हें 'शेरनी' की शूटिंग भी बीच में ही छोड़नी पड़ी थी। अब न्यायालय ने विजय राज को निर्दोष घोषित कर दिया है और सम्मानपूर्वक बरी कर दिया है। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा, 'जांच अधिकारी ने आगे कोई जाँच नहीं की। इसलिए अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य कमजोर और अपर्याप्त प्रतीत होते हैं। यहाँ तक कि जब्त किए गए सीसीटीवी फुटेज में भी आरोपी द्वारा कथित उत्पीड़न करते हुए स्पष्ट रूप से नहीं दिखाया गया है।' न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के अपराध को निर्णायक रूप से साबित करने में विफल रहा है, इसलिए संदेह का लाभ आरोपी को मिलता है। इसी आधार पर विजय राज को बरी कर दिया गया।