उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऋषिकेश और भानियावाला के बीच सड़क चौड़ीकरण के लिए 3000 पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है। देहरादून की रेनू पाल नामक महिला की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से परमिट जमा करने को कहा। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि इससे हाथियों के कॉरिडोर में बाधा आएगी, जिसके बाद कोर्ट ने सरकार को हाथियों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए कहा। कोर्ट ने सरकार से वन संरक्षण अधिनियम के तहत मंजूरी और अन्य संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा, अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।
Mar 15, 2025 - 00:41
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ऋषिकेश और भानियावाला के मध्य सड़क को चौड़ा करने के उद्देश्य से लगभग तीन हजार पेड़ों की कटाई पर अस्थायी रोक लगा दी है। देहरादून निवासी रेनू पाल द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह आदेश दिया। न्यायालय ने राज्य सरकार को इस परियोजना से संबंधित आवश्यक परमिट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता के वकील अभिजय नेगी ने न्यायालय में तर्क प्रस्तुत किया कि सड़क का विस्तार हाथियों के आवागमन के रास्ते में बाधा उत्पन्न करेगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पहले भी न्यायालय ने इसी तरह के एक मामले में शिवालिक हाथी अभ्यारण्य को संरक्षण प्रदान किया था। सरकार ने न्यायालय को आश्वासन दिया है कि हाथियों के आवागमन में कोई बाधा न हो, इसके लिए उचित प्रक्रिया अपनाई जाएगी। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने सरकार को सभी आवश्यक अनुमतियाँ न्यायालय के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को गलियारे और प्रभावित सड़क खंडों की गूगल तस्वीरें प्रस्तुत करने के लिए कहा है और अगली सुनवाई 21 मार्च को तय की है। उच्च न्यायालय ने सरकार को वन संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत स्वीकृति, क्षतिपूरक वनीकरण योजनाओं का विवरण, वनीकरण के लिए आवंटित धन और संबंधित प्राधिकरण द्वारा तैयार पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।