कैमूर में चैत्र नवरात्रि: मां मुंडेश्वरी धाम में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़
बिहार के कैमूर जिले में पवरा पहाड़ी पर स्थित मां मुंडेश्वरी धाम में चैत्र नवरात्रि के पहले दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। मंदिर को सजाने के लिए थाईलैंड और बैंकॉक से फूल मंगाए गए थे। यह मंदिर 600 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जिसे दुनिया का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। नवरात्रि के सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर होने वाली निशा पूजा के लिए मंदिर को सजाने के लिए थाईलैंड और बैंकॉक से फूल मंगाए जाते हैं। मंदिर में सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। यह मंदिर अष्टकोणीय है और श्री यंत्र के आकार में बना है। यहां मां वाराही विराजमान हैं। यहां पंचमुखी शिवलिंग भी स्थापित है। मुंडेश्वरी धाम की अनोखी बलि प्रथा भी प्रसिद्ध है.

यह मंदिर 600 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जिसे दुनिया का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। नवरात्रि के सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर होने वाली निशा पूजा के लिए मंदिर को सजाने के लिए थाईलैंड और बैंकॉक से फूल मंगाए जाते हैं।
मंदिर में सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। मंदिर प्रशासन के साथ पुलिस बल और मजिस्ट्रेट भी तैनात हैं। मंदिर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 15 चेकपॉइंट बनाए गए हैं। श्रद्धालुओं को जाम या किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिए जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और हेल्पलाइन सेंटर भी शुरू किया गया है।
यह मंदिर अष्टकोणीय है और श्री यंत्र के आकार में बना है। यहां मां वाराही विराजमान हैं, जिनका वाहन भैंसा है। यहां पंचमुखी शिवलिंग भी स्थापित है, जिसका रंग सूर्य की स्थिति के साथ बदलता है। मां मुंडेश्वरी धार्मिक न्यास परिषद के सचिव अशोक सिंह ने बताया कि यह देश-दुनिया का सबसे पुराना मंदिर है, जो 526 ईसा पूर्व से है। यहां मां ने मुंड राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे मुंडेश्वरी नाम मिला।
मुंडेश्वरी धाम की अनोखी बलि प्रथा भी प्रसिद्ध है। यहां बकरे को काटे बिना बलि दी जाती है। लोग मन्नत मांगते हैं और पूरी होने पर बकरे की बलि चढ़ाते हैं।