औरंगजेब: खलनायक या विवादित शासक? इतिहास में असली मुद्दे

लेख में औरंगजेब के मकबरे पर विवाद, इतिहास को हिंदू-मुस्लिम नजरिए से देखने की बढ़ती प्रवृत्ति, और दलितों एवं पिछड़ी जातियों के साथ ऐतिहासिक अन्याय जैसे विषयों पर प्रकाश डाला गया है। यह सवाल किया गया है कि क्या मुस्लिम शासकों को खलनायक बनाकर हिंदू समाज की समस्याओं को छिपाया जा रहा है, और दलितों को मंदिर का पुजारी बनाने के लिए कौन लड़ेगा। लेखक का तर्क है कि भारत को स्वतंत्रता से पहले के घावों को कुरेदने के बजाय समानता की ओर बढ़ना चाहिए।

Mar 22, 2025 - 10:57
औरंगजेब: खलनायक या विवादित शासक? इतिहास में असली मुद्दे

औरंगजेब: खलनायक या विवादित शासक? इतिहास में असली मुद्दे

संभाजी नगर (पहले औरंगाबाद) से एलोरा गुफाओं की तरफ जाने वाले रास्ते पर खुल्दाबाद में, मुगल सम्राट औरंगजेब की सादगी भरी कब्र स्थित है।

जहां शाहजहां ने ताजमहल जैसा शानदार मकबरा बनवाया, वहीं औरंगजेब ने बिना गुंबद और शानो-शौकत वाली साधारण कब्र बनवाई, जिसमें कुछ फीट तक कच्ची मिट्टी और एक छोटा पौधा है।

क्या यही वह सादी कब्र है, जिसे BJP सांसद उदयनराजे भोसले ध्वस्त करना चाहते हैं? सवाल यह है कि क्या 17वीं सदी का एक बादशाह ही हिंदुत्व का सबसे बड़ा दुश्मन है?

भारतीय इतिहास में हिंसा को हिंदू-मुस्लिम के चश्मे से देखने का चलन बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है। इतिहास में हिंदू राजाओं के बीच भी युद्ध हुए और यूरोपीय देशों ने लूटपाट की।

मुस्लिम शासकों को खलनायक बनाना, हिंदुओं को एकजुट और पीड़ित दिखाने की कोशिश है। इससे जातिवाद, महिलाओं और आदिवासियों पर अत्याचार जैसे मुद्दे छिप जाते हैं।

अगर एक हिंदू इतिहास में जख्म ढूंढकर बदला ले सकता है, तो दलित और पिछड़ी जातियां भी सवर्णों के खिलाफ खड़ी हो सकती हैं, जिन्हें सदियों तक अन्याय सहना पड़ा।

अगर निचली जातियां जालिम शासकों की इमारतें गिराने लगेंगी, तो भारत में बहुत कम ऐतिहासिक इमारतें बचेंगी।

केरल में दलितों को मंदिर में पुजारी बनाने के लिए कौन लड़ेगा?

भारत सदियों से भेदभाव खत्म करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन 1891 में साक्षरता दर बहुत कम थी।

कम भेदभाव वाले धर्मों में साक्षरता ज्यादा थी। इसलिए, औरंगजेब से आगे भी सोचने लायक बहुत कुछ है।

समानता की ओर बढ़ रहा भारत केवल 75 साल पुराना देश है, जिसके संविधान में एक दलित की प्रमुख भूमिका है।

आजादी से पहले के जख्मों को कुरेदते रहेंगे, तो आगे नहीं बढ़ पाएंगे।