मास्टर साहब को मिली शराब की दुकान, ग्रेटर नोएडा में गड़बड़ी!
ग्रेटर नोएडा में प्राइमरी स्कूल के शिक्षक को शराब की दुकान का लाइसेंस मिलने पर विवाद हो गया। ई-लॉटरी में गड़बड़ी के चलते आवंटन रद्द कर दिया गया, क्योंकि सरकारी नियमों के अनुसार सरकारी कर्मचारी शराब की दुकान का लाइसेंस नहीं ले सकते। जिला आबकारी अधिकारी सुबोध कुमार ने बताया कि पहले चरण में कम आवेदन आए थे, जबकि दूसरे चरण में अधिक आवेदन आए। गाजियाबाद में भी भांग और शराब की दुकानों के लिए ई-लॉटरी हुई।

आबकारी विभाग के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों को शराब की दुकान का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता। दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान यह मामला पकड़ में आया।
जिला आबकारी अधिकारी सुबोध कुमार ने बताया कि पहले चरण में केवल 16 आवेदन आए थे, जबकि दूसरे चरण में 173 आवेदन प्राप्त हुए। देसी शराब की दुकानों के लिए आवेदन शुल्क 40,000 से 65,000 रुपये तक है।
ई-लॉटरी के पहले चरण में 6 मार्च को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आवंटन किया गया था। दस्तावेज सत्यापन में पाया गया कि एक शिक्षक को दुकान आवंटित हो गई थी, जो नियमों के खिलाफ है। इसलिए, आवंटन रद्द कर दिया गया। दुकान का लाइसेंस शुल्क 10.4 लाख रुपये है।
गाजियाबाद में भी दो भांग की दुकानों और एक देसी शराब की दुकान के लिए ई-लॉटरी का दूसरा चरण आयोजित किया गया।