शिक्षामित्रों के मानदेय पर हाईकोर्ट का फैसला: सरकार को एक माह का समय
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी के शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने के मामले में राज्य सरकार को एक महीने में निर्णय लेने और हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है। यह फैसला अवमानना याचिका पर आया, क्योंकि सरकार ने पहले मानदेय बढ़ाने के लिए समिति बनाने के आदेश का पालन नहीं किया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि पद पर कार्य करने के बाद वेतन नहीं रोका जा सकता। एक अन्य मामले में, कोर्ट ने 15 पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण काल को सेवा में शामिल करने का आदेश दिया और गायत्री मंत्र पर आधारित एक पुस्तक के प्रकाशन पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी。
यह फैसला अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए आया है, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि सरकार ने पहले के उस आदेश का पालन नहीं किया है जिसमें शिक्षामित्रों के मानदेय को बढ़ाने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस सलिल कुमार राय ने वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर यह आदेश जारी किया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 1 मई को निर्धारित की है।
याचिकाकर्ताओं के वकील सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी के अनुसार, 2023 में शिक्षामित्रों ने समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग करते हुए याचिका दायर की थी, जिसके बाद हाई कोर्ट ने उनके मानदेय को अपर्याप्त माना था। कोर्ट ने सरकार को एक समिति बनाकर उचित मानदेय तय करने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने पर अवमानना याचिका दायर की गई।
इसके अतिरिक्त, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी पद पर कार्य करने के बाद वेतन को रोका नहीं जा सकता है, और 30 साल पहले स्वीकृत पद को केवल सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के अभाव में वापस नहीं लिया जा सकता है। एक अन्य मामले में, कोर्ट ने 15 पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण काल को उनकी नियमित सेवा में शामिल करके वेतन निर्धारण का आदेश दिया। कोर्ट ने गायत्री मंत्र पर आधारित एक पुस्तक के प्रकाशन पर रोक लगाने की याचिका भी खारिज कर दी।