भारत ने टैरिफ के असर को मात देकर Trump को जोरदार जवाब दिया, एक्सपोर्ट में हुई गिरावट
Donald Trump’s imposition of a 50% tariff on India has negatively impacted exports, yet the measures taken by the Modi administration to mitigate this have positively influenced impressive GDP growth figures.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लागू किए गए 50% उच्च टैरिफ का कई क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, इस टैरिफ की वजह से भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात सिर्फ पांच महीनों में 28 प्रतिशत से अधिक घट चुका है। निर्यात में कमी कई उद्योगों को अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचा चुकी है, लेकिन ट्रंप के इस टैरिफ हमले के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की गति ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है। दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि 8.2% रही, जो अपेक्षाओं से अधिक है। आइए जानते हैं कि आखिर कौन सी रणनीति भारत के लिए कारगर साबित हुई।
टैरिफ से हुए नुकसान का आकलन
अमेरिका हमेशा से भारत के लिए सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य रहा है, लेकिन 50% अमेरिकी टैरिफ के कारण इसमें उल्लेखनीय कमी आई है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत से अमेरिका का निर्यात मई में 8.83 अरब डॉलर से गिरकर अक्टूबर में 6.31 अरब डॉलर हो गया, जो केवल पांच महीनों में 28.5% की गिरावट दर्शाता है। भारत का निर्यात इसी वर्ष 2 अप्रैल को ट्रंप के 10% टैरिफ के लागू होने के बाद घटने लगा, और 7 अगस्त को प्रतिकारी टैरिफ 25% और 27 अगस्त को इसे 50% करने से गिरावट तेज हो गई।
GTRI के अध्ययन से पता चलता है कि अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50% टैरिफ का प्रभाव विश्व स्तर पर सबसे अधिक है, जबकि चीन के लिए 30% और जापान के लिए 15% टैरिफ है। अमेरिकी टैरिफ का नकारात्मक असर उन क्षेत्रों पर भी पड़ा है, जो टैरिफ-मुक्त हैं, जैसे स्मार्टफोन, दवा और पेट्रोलियम उत्पाद, जिनमें 25.8% की कमी आई है और ये मई के 3.42 अरब डॉलर से घटकर अक्टूबर में 2.54 अरब डॉलर रह गए।
इतनी कठिनाई के बावजूद जीडीपी वृद्धि में मजबूती
भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज गति को विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने मान्यता दी है। भारत ने इसे सिद्ध भी किया है। 50% टैरिफ के नकारात्मक प्रभावों के बावजूद, देश की जीडीपी वृद्धि दूसरी तिमाही में 8.2% रही, जो लगातार दूसरी तिमाही में उम्मीद से अधिक है। जून तिमाही में यह 7.8% थी।
अब सवाल ये है कि जब निर्यात में गिरावट के कारण कई क्षेत्रों को भारी नुकसान हुआ, तो फिर अर्थव्यवस्था की गति पर इसका असर क्यों नहीं दिखा। भारत ने अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए एक प्रभावी रणनीति अपनाई, जो सफल रही। इसका प्रमाण इस तथ्य से मिलता है कि जहां भारत का अमेरिका को निर्यात सितंबर में 11.9% घट गया था, वहीं उस महीने देश का कुल निर्यात 6.75% बढ़ा। अमेरिकी टैरिफ के बाद समायोजन कर रहे भारत के निर्यात को अन्य आंकड़ों से भी समझा जा सकता है। जहां अमेरिका को भारत का जेम्स और ज्वेलरी निर्यात 76% कम हुआ, वहीं कुल निर्यात में केवल 1.5% की कमी आई।
भारत के लिए कौन सी रणनीति मददगार साबित हुई
वास्तव में, जेम्स और ज्वेलरी क्षेत्र के आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि अमेरिका को निर्यात में गिरावट आई, लेकिन यूएई, हांगकांग और बेल्जियम जैसे देशों में वृद्धि ने समर्थन प्रदान किया, जिससे टैरिफ का प्रभाव कम हुआ और कुल निर्यात में मामूली कमी आई। भारत के विभिन्न उद्योगों ने विविधीकरण की रणनीति अपनाई और नए बाजारों की ओर रुख किया। ऑटो पार्ट्स के लिए जर्मनी और थाईलैंड जैसी जगहों से मजबूत मांग प्राप्त हुई।
मोदी सरकार ने अमेरिकी टैरिफ के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए कई त्वरित कदम उठाए, जिससे व्यापार के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी महत्वपूर्ण सहारा मिला। इससे घरेलू मांग में वृद्धि हुई और निवेश में भी तेजी आई। जीएसटी सुधारों का भी घरेलू मांग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। इस दौरान विनिर्माण और सेवा क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था की गति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।