भोपाल में जमीन घोटाला: चार अधिकारियों को मिली तीन साल की सजा
भोपाल की एक विशेष अदालत ने जिला सहकारी और ग्रामीण विकास बैंक के चार अधिकारियों और एक खरीदार को जमीन की अवैध बिक्री के मामले में तीन-तीन साल की जेल की सजा सुनाई है। यह मामला लगभग साढ़े तीन एकड़ जमीन को सिर्फ 50 हजार रुपये में बेचने से संबंधित है, जबकि उस समय जमीन की कीमत 1.76 लाख रुपये थी। आरोपियों में बैंक के तत्कालीन विक्रय अधिकारी और खरीदार शामिल हैं। किसान ने लोन लिया था, लेकिन अधिकारियों ने मिलीभगत कर जमीन को अवैध रूप से नीलाम कर दिया।

शनिवार को भोपाल की एक विशेष अदालत ने जिला सहकारी एवं ग्रामीण विकास बैंक के चार अधिकारियों और एक खरीदार को जमीन की अवैध बिक्री के मामले में तीन-तीन साल की जेल की सजा सुनाई। यह मामला साढ़े तीन एकड़ जमीन को सिर्फ 50 हजार रुपये में बेचने से जुड़ा है, जबकि उस समय जमीन का मूल्य 1.76 लाख रुपये था।
आरोपियों के नाम:
इस मामले में जिला सहकारी एवं ग्रामीण विकास बैंक के तत्कालीन विक्रय अधिकारी हरिहर प्रसाद मिश्रा, विजेंद्र कौशल, महाप्रबंधक अशोक कुमार मुखरईया, सहकारिता निरीक्षक एपीएस कुशवाहा और खरीदार परमजीत बेदी शामिल हैं।
लोन की आड़ में भ्रष्टाचार:
किसान सायरा बानो ने 1985-86 में 18 हजार रुपये का लोन लिया था। किसान को सिर्फ 9 हजार रुपये चुकाने बाकी थे, लेकिन अधिकारियों ने मिलीभगत कर जमीन को अवैध रूप से नीलाम कर दिया। उन्होंने किसान को बिना बताए और बिना किसी सूचना के जमीन को कम कीमत पर बेच दिया।
ऐसे बेची जमीन:
आरोपियों ने साजिश रचकर 30 जून 2001 को परमजीत बेदी को जमीन सिर्फ 50 हजार रुपये में बेच दी। उन्होंने धोखाधड़ी करके अपने पद का दुरुपयोग किया और नीलामी से जुड़े जाली दस्तावेज तैयार किए।