रामभद्राचार्य का मनुस्मृति पर चैलेंज: मां का दूध पिया हो तो आकर करो चर्चा

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बीएचयू में अखिल भारतीय व्याकरण प्रबोध कार्यशाला में मनुस्मृति को राष्ट्र-विरोधी नहीं बताया और ज्ञानवापी को वापस पाने की मांग की। उन्होंने छात्रों से सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए जागरूक रहने को कहा। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति का एक भी अक्षर राष्ट्र-विरोधी नहीं है और काशी उनकी विद्या की जन्मभूमि है। उन्होंने ज्ञानवापी की वापसी तक संघर्ष जारी रखने की बात कही। अन्याय के खिलाफ चुप रहना सबसे बड़ा अन्याय है।

Mar 25, 2025 - 12:32
रामभद्राचार्य का मनुस्मृति पर चैलेंज: मां का दूध पिया हो तो आकर करो चर्चा
वाराणसी में बीएचयू में अखिल भारतीय व्याकरण प्रबोध कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मनुस्मृति को राष्ट्र-विरोधी मानने से इनकार किया।

उन्होंने ज्ञानवापी को वापस लेने की अपनी मांग को दोहराया और छात्रों से सनातन धर्म की रक्षा के लिए तत्पर रहने का आह्वान किया। उन्होंने सरकार से इस कार्य में समर्थन देने का भी आग्रह किया।

मुख्य बातें:
  • जगद्गुरु रामभद्राचार्य का मनुस्मृति पर महत्वपूर्ण बयान
  • काशी को बताया विद्या की जन्मभूमि
  • ज्ञानवापी की वापसी के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प


जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मनुस्मृति पर बोलते हुए कहा कि जिन्होंने अपनी मां का शुद्ध दूध पिया है, वे मनुस्मृति पर उनसे चर्चा करने आ सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि मनुस्मृति का एक भी अक्षर राष्ट्र-विरोधी नहीं है और इसकी आलोचना बिना पढ़े नहीं करनी चाहिए।

काशी को अपनी विद्या की जन्मभूमि बताते हुए, उन्होंने संस्कृत व्याकरण को दुनिया की सबसे वैज्ञानिक प्रणालियों में से एक बताया। उन्होंने अन्याय के खिलाफ चुप रहने को सबसे बड़ा अन्याय करार दिया और ज्ञानवापी की वापसी तक संघर्ष जारी रखने की बात कही।