DGP के आदेश पर SDPO, SHO और IO पर गिरी गाज, फर्जी रेप केस में फंसाने का मामला
बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने दरभंगा जिले के बहेड़ा थाने के एक फर्जी रेप केस में SDPO, SHO और IO को दंडित करने का आदेश दिया है। पटना उच्च न्यायालय ने मुकेश कुमार को बरी कर दिया, जिन्हें झूठे दुष्कर्म के आरोप में 20 साल की सजा सुनाई गई थी। डीजीपी ने मधुबनी और सारण जिला के एसपी को निलंबित करने के लिए कहा है, क्योंकि पुलिस जांच में खामियां पाई गईं और पीड़िता के पिता से 6 लाख रुपए की मांग की गई थी।

यह मामला दरभंगा जिले के बहेड़ा थाने से संबंधित है, जहाँ कांड संख्या 282/20 में मुकेश कुमार नामक एक व्यक्ति को झूठे दुष्कर्म के आरोप में 20 साल की सजा सुनाई गई थी।
पटना उच्च न्यायालय ने मुकेश कुमार को निर्दोष पाते हुए बरी कर दिया। इस मामले में, तत्कालीन बेनीपुर के एसडीपीओ उमेश्वर चौधरी, जो वर्तमान में डीएसपी पालीगंज-2 हैं, बहेड़ा के तत्कालीन थानाध्यक्ष सुनील कुमार, जो वर्तमान में मधुबनी जिले में पदस्थापित हैं, और केस के तत्कालीन अनुसंधानक जावेद आलम, जो वर्तमान में सारण जिला के अवतारनगर थाने में पोस्टेड हैं, के खिलाफ डीजीपी ने कार्रवाई का निर्देश दिया है।
डीजीपी के निर्देश पर, दरभंगा के एसएसपी जगुनाथ रेड्डी ने मधुबनी और सारण जिला के एसपी को निलंबित करने के लिए कहा है। पटना उच्च न्यायालय ने मुकेश कुमार को झूठे दुष्कर्म के मामले में मिली उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया था।
यह मामला 2020 का है, जब सुनील कुमार बहेड़ा थाने में थानाध्यक्ष थे। एक लड़की ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने की शिकायत दर्ज कराई थी, और जावेद आलम को अनुसंधानक नियुक्त किया गया था। जांच के दौरान, मुकेश कुमार के साथ हुई बातचीत को ध्यान में नहीं रखा गया, और अनुसंधानक ने बिना जांच रिपोर्ट के आरोप पत्र दाखिल कर दिया। साक्ष्य का संकलन भी सही से नहीं किया गया, और 57 मिनट की ऑडियो क्लिप को सुरक्षित नहीं रखा गया, जिसमें पीड़िता के पिता से 6 लाख रुपए की मांग की जा रही थी, जिसके न देने पर मुकेश को फंसाया गया।
पटना उच्च न्यायालय ने पुलिस जांच पर सवाल उठाए और मुकेश कुमार को निर्दोष बताया।