श्मशान घाट की पाठशाला: निधि, सलोनी और चांदनी ने मारी बाजी
मुजफ्फरपुर के श्मशान घाट में, सुमित नामक एक व्यक्ति ने गरीब बच्चों को शिक्षित करने का फैसला किया और 'अप्पन पाठशाला' नामक एक स्कूल खोला। आज, उस स्कूल में 130 बच्चे हैं। इस वर्ष, निधि, सलोनी और चांदनी नाम की तीन लड़कियों ने मैट्रिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त की है। सुमित कुमार पिछले 8 सालों से इन बच्चों को पढ़ा रहे हैं और उनका कहना है कि यह 'अप्पन पाठशाला' के लिए अभी शुरुआत है। आगे चुनौतियां और भी हैं।

मुजफ्फरपुर: बिहार के एक श्मशान घाट में, जहाँ चिताएँ जलती हैं, सुमित नामक एक व्यक्ति ने कुछ बच्चों को फल और पैसे उठाते देखा। इस दृश्य ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया। उन्होंने उन बच्चों को शिक्षित करने का निर्णय लिया।
सुमित ने "अप्पन पाठशाला" नामक एक विद्यालय की स्थापना की। आज, उस विद्यालय में 130 छात्र हैं। इस वर्ष, निधि, सलोनी और चांदनी नामक तीन छात्राओं ने मैट्रिक (10वीं) की परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त की है। यह समाचार "अप्पन पाठशाला" और इन विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
सुमित कुमार, "अप्पन पाठशाला" के संस्थापक हैं। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने विद्यालय शुरू किया, तब केवल 8-10 छात्र थे, लेकिन अब 130 छात्र पढ़ते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पहले यहाँ के बच्चे पढ़ते नहीं थे; वे पूरा दिन श्मशान में खेलते थे। सुमित कुमार ने छात्रों से पूछा कि क्या वे पढ़ते हैं? छात्रों ने उत्तर दिया कि पढ़कर क्या होगा? इस उत्तर ने सुमित को गहराई से प्रभावित किया। तभी उन्होंने इन बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लिया। वह उन्हें समझाना चाहते थे कि शिक्षा से वे क्या-क्या कर सकते हैं।
इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में, पाठशाला में पढ़ने वाली निधि, सलोनी और चांदनी ने मैट्रिक की परीक्षा दी। तीनों छात्राएँ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुईं। वे 'अप्पन पाठशाला' में पढ़ती थीं। बिहार बोर्ड ने जब परिणाम घोषित किया, तो छात्र बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी व्यक्त की। सुमित कुमार पिछले 8 वर्षों से इन छात्रों को पढ़ा रहे हैं। परिणाम आने के बाद, वह बहुत खुश हुए। उनका कहना है कि "अप्पन पाठशाला" के लिए यह केवल शुरुआत है; आगे और भी चुनौतियाँ हैं।