राफेल डील: भारत की सैन्य शक्ति से पाकिस्तान में खलबली
भारत द्वारा फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा के बाद पाकिस्तानी विशेषज्ञ चिंतित हैं। इस सौदे से भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ेगी और हिंद महासागर में भारत की स्थिति मजबूत होगी। पाकिस्तानी विशेषज्ञ कमर चीमा ने कहा कि पाकिस्तान एक-एक अरब डॉलर के कर्ज के लिए आईएमएफ के दरवाजे पर चक्कर काटता रहता है, जबकि भारत 7 अरब डॉलर में 26 राफेल फाइटर जेट खरीद रहा है। राफेल मरीन विमान वाहक पोतों से संचालित हो सकता है और यह भारत को समुद्र के बीच से हवाई हमले करने की क्षमता प्रदान करेगा। इससे पाकिस्तानी विशेषज्ञों में डर है, क्योंकि भारत की नौसेना अब ट्रेड प्रोटेक्टर फोर्स बन चुकी है।
फ्रांस से भारतीय नौसेना को मिलने वाले 26 राफेल मरीन फाइटर जेट्स, भारतीय नौसेना की शक्ति को दोगुना करेंगे और हिंद महासागर में भारत की उपस्थिति को अजेय बना देंगे। यही कारण है कि जब से भारत ने फ्रांसीसी राफेल खरीदने की घोषणा की है, पाकिस्तानी विशेषज्ञ चिंतित हैं।
पाकिस्तान के भू-राजनीतिक विशेषज्ञ कमर चीमा ने कहा कि पाकिस्तान एक-एक अरब डॉलर के ऋण के लिए आईएमएफ के दरवाजे पर चक्कर लगाता रहता है, जबकि भारत फ्रांस से 7 अरब डॉलर में 26 राफेल फाइटर जेट खरीद रहा है। राफेल मरीन एक फ्रांसीसी विमान है जो विमान वाहक पोत से संचालित होता है और तेज, घातक और बहु-भूमिका क्षमताओं से लैस है। यही विमान फ्रांसीसी नौसेना के चार्ल्स डी गॉल विमान वाहक पोत से उड़ान भरता है, और अब भारत के आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य से भी उड़ान भरेगा।
कमर चीमा ने कहा कि राफेल सौदे के माध्यम से भारत अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है। इसका उद्देश्य हिंद महासागर में चीन की उपस्थिति का मुकाबला करना है। चीन जिस तरह से भारत को घेर रहा है, उसे देखते हुए भारत अपनी नौसेना को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब 3.5 फ्रंट वार की बात हो रही है: चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव। इसलिए भारत को अपनी वायु सेना के साथ-साथ अपनी नौसेना को भी मजबूत करने की जरूरत है। भारत को डर है कि चीन भारत की जमीन पर हमला नहीं करेगा, बल्कि उनके व्यापार मार्गों पर हमला कर सकता है। इसलिए भारत तैयारी कर रहा है।
भारत के लगभग 95% व्यापारिक लेनदेन समुद्र के माध्यम से होते हैं, जिसमें हिंद महासागर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अधिकांश व्यापार इंडो-पैसिफिक समुद्री मार्ग से होता है। यदि इस समुद्री मार्ग पर चीन का प्रभुत्व बढ़ता है, तो भारत की आर्थिक, रणनीतिक और ऊर्जा सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। इसलिए, भारतीय नौसेना अब सिर्फ एक सुरक्षा बल नहीं, बल्कि एक व्यापार रक्षक बल बन गई है। राफेल मरीन जैसे उच्च-अंत जेट उस सुरक्षा कवच को और मजबूत कर रहे हैं। आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य जैसे विमान वाहक पोत, राफेल मरीन के साथ मिलकर तैरते हवाई अड्डों में बदल जाते हैं। इसका मतलब है कि भारत बिना किसी बेस पर निर्भर हुए समुद्र के बीच से किसी भी क्षेत्र में हवाई हमले कर सकता है। यही कारण है कि पाकिस्तानी विशेषज्ञों के मन में राफेल सौदे को लेकर डर बैठ गया है।