कृष्णा का टशन: लालू दरबार से दूरी, क्या राहुल का सपना होगा पूरा?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन से पता चला कि क्षेत्रीय दलों के लिए कांग्रेस का साथ जरूरी है। बिहार में, नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने लालू यादव से मुलाकात नहीं की, जो पहले प्रदेश अध्यक्षों के लिए एक रस्म थी। राहुल गांधी ने युवा नेताओं को कमान सौंपी है, लेकिन पार्टी में गुटबाजी और राजद के प्रति वफादारी एक चुनौती है। तारिक अनवर ने बदलाव की मांग की, जिसके बाद अल्लावुरु को प्रभारी बनाया गया। अब देखना होगा कि अल्लावुरु बिहार में क्या रणनीति अपनाते हैं, क्योंकि कांग्रेस की स्थिति कमजोर है।

Mar 8, 2025 - 16:46
कृष्णा का टशन: लालू दरबार से दूरी, क्या राहुल का सपना होगा पूरा?
पटना: दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन ने दिखाया कि क्षेत्रीय दलों को सत्ता में बने रहने के लिए कांग्रेस का साथ जरूरी है। बिहार में लालू यादव का कांग्रेस पर प्रभाव सभी जानते हैं, और अब नए समीकरण बन रहे हैं। कृष्णा अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का नया प्रभारी बनाया गया है। पहले, हर प्रदेश अध्यक्ष या प्रभारी लालू यादव से मिलने जाता था, लेकिन कृष्णा अल्लावरु ने ऐसा नहीं किया।

राहुल के कृष्णा का टशन!

कृष्णा अल्लावुरु के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट करना है, क्योंकि कई नेता राजद और लालू-तेजस्वी के समर्थक हैं। पिछले 20 सालों से, आलाकमान ने बिहार कांग्रेस की कमान लगभग राजद के हाथों में दे रखी थी। दिल्ली चुनाव के बाद, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे नई रणनीति पर काम कर रहे हैं।

अब, युवा नेताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है। कृष्णा अल्लावुरु, अलका लांबा और कन्हैया कुमार बिहार का दौरा कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं। पार्टी में कई गुट हैं और कई नेता राजद के प्रति वफादार हैं, जिससे कांग्रेस का अपना कोई खास जनाधार नहीं बन पाया है। अल्लावुरु चाहते हैं कि सभी नेता पार्टी के नियमों का पालन करें और मिलकर काम करें।

तारिक अनवर की स्ट्रैटजी पर कांग्रेस

पिछले दो दशकों में, बिहार कांग्रेस में महासचिव और प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए लालू प्रसाद यादव की सहमति जरूरी थी। यहां तक कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के टिकट भी राजद के इशारे पर बांटे जाते थे। इसका एक उदाहरण पप्पू यादव और कन्हैया कुमार का मामला है। कांग्रेस पप्पू यादव को पूर्णिया और कन्हैया कुमार को बेगूसराय से चुनाव नहीं लड़ा पाई, क्योंकि राजद ऐसा नहीं चाहता था।

दिल्ली चुनाव के बाद, बिहार के कटिहार से सांसद तारिक अनवर ने बिहार कांग्रेस में बदलाव की मांग की। कुछ विधायकों ने भी कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ने की सलाह दी। पार्टी के अंदर से उठ रही इन आवाजों के बाद, आलाकमान ने कार्रवाई की और पार्टी को मजबूत करने के प्रयास शुरू किए। इसी के चलते कृष्णा अल्लावुरु को बिहार प्रदेश प्रभारी बनाया गया है, और अलका लांबा और कन्हैया कुमार ने भी बिहार में डेरा डाला।

अब तक नहीं लगी 'यादव दरबार' में हाजिरी

कृष्णा अल्लावुरु को बिहार कांग्रेस का प्रभारी बने तीन हफ्ते हो गए हैं, लेकिन वे अभी तक लालू यादव से मिलने नहीं गए हैं। यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि राहुल गांधी पटना आकर लालू परिवार से मिलते हैं। कृष्णा अल्लावुरु राहुल गांधी के करीबी हैं और युवा कांग्रेस के प्रभारी भी हैं। कहा जा रहा है कि कृष्णा अल्लावुरु अपने तरीके से काम करते हैं और किसी के नक्शेकदम पर नहीं चलते। कृष्णा अल्लावुरु कर्नाटक से हैं, और उनकी नियुक्ति को कांग्रेस का बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे कार्यकर्ताओं को संदेश गया है कि कांग्रेस युवाओं को आगे बढ़ाना चाहती है। कांग्रेस को उम्मीद है कि कृष्णा अल्लावुरु बिहार में पार्टी को मजबूत करेंगे, क्योंकि बिहार में कांग्रेस की स्थिति कमजोर है। ऐसे में कृष्णा अल्लावुरु के सामने बड़ी चुनौती है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे बिहार में कैसी रणनीति अपनाते हैं।