अमेरिका की घातक सेंटिनल मिसाइल: दुश्मन को करेगी तबाह, 5500 किमी तक मारक क्षमता
अमेरिकी वायुसेना सेंटिनल मिसाइल को विकसित करने के करीब है, जिसका हाल ही में महत्वपूर्ण परीक्षण हुआ। यह मिसाइल अमेरिकी सेना के परमाणु त्रिकोण के आधुनिकीकरण कार्यक्रम का हिस्सा है और 5500 किलोमीटर तक हमला कर सकती है। अमेरिकी वायुसेना और नॉर्थ्राप ग्रुप्मन कॉरपोरेशन ने मिसाइल के विकास में महत्वपूर्ण परीक्षण किए हैं। यह परीक्षण मिसाइल कार्यक्रम को उत्पादन और तैनाती के करीब ले जाने में महत्वपूर्ण है। सेंटिनल सिस्टम 400 मिनटमैन 3 ICBM के मौजूदा बेड़े की जगह लेगा। अमेरिका की नई मिसाइल LGM-35A की रेंज 5500 किलोमीटर से ज्यादा होने का दावा किया गया है।

इस मिसाइल की कुछ मुख्य बातें हैं: अमेरिका परमाणु प्रलय मिसाइल सेंटिनल के करीब पहुंच गया है, सेंटिनल परमाणु मिसाइल दुश्मन के होश उड़ा देगी, और यह 5500 किलोमीटर तक हमला कर सकती है।
अमेरिका अगली पीढ़ी की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) सेंटिनल को तैयार करने के करीब है, जिसमें परमाणु हथियार से तबाही लाने की क्षमता है। अमेरिकी वायुसेना और नॉर्थ्राप ग्रुप्मन कॉरपोरेशन ने मिसाइल के विकास में महत्वपूर्ण परीक्षण किए हैं। यह परीक्षण मिसाइल कार्यक्रम को उत्पादन और तैनाती के करीब ले जाने में महत्वपूर्ण है। ब्रिगेडियर जनरल विलियम रोजर्स ने इस परीक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला।
जनरल रोजर्स ने कहा कि वे अपने परमाणु त्रिकोण का आधुनिकीकरण कर रहे हैं। यह परीक्षण पुराने मिनटमैन 3 आईसीबीएम को बदलने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा है। सेंटिनल आईसीबीएम का उद्देश्य अमेरिकी परमाणु त्रिकोण के जमीनी हिस्से को बढ़ाना है, जो प्रतिरोधक क्षमताओं को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। कर्नल अमांडा ओकेसन ने कहा कि टीम एक बेजोड़ रणनीतिक निवारक प्रदान करने के अपने वादे को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। सेंटिनल सिस्टम 400 मिनटमैन 3 ICBM के मौजूदा बेड़े की जगह लेगा, जो आधी सदी से भी ज्यादा समय से सेवा में है। मिनटमैन 3 को पहली बार 1970 के दशक की शुरुआत में तैनात किया गया था और इसके कुछ घटकों को अपडेट किया गया है।
अमेरिका की नई मिसाइल LGM-35A की रेंज 5500 किलोमीटर से ज्यादा होने का दावा किया गया है। इसे भविष्य में एक रणनीतिक प्रतिरोध प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। सेंटिनल मिसाइल कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए यूटा में हिल एयर फ़ोर्स बेस और अन्य राज्यों में रखरखाव और प्रशिक्षण गतिविधियां होंगी।