सतना: सूर्य की दिशा में बदलती हैं मां की आंखें

सतना जिले के भटनवारा गांव में माता कालिका का एक विशेष मंदिर है, जहाँ माता की प्रतिमा सूर्य की दिशा के अनुसार अपनी आंखें बदलती है। चैत्र नवरात्रि में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर सतना जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर है और लोगों की गहरी आस्था का केंद्र है। माना जाता है कि माता रानी की मूर्ति का तेज भक्तों के लिए कल्याणकारी है। मूर्ति लगभग 700 साल पुरानी है। राजा मनह सिंह को यह मूर्ति करारी नदी के किनारे मिली थी।

Apr 1, 2025 - 18:19
सतना: सूर्य की दिशा में बदलती हैं मां की आंखें
सतना जिले के भटनवारा गांव में माता कालिका का एक विशेष मंदिर स्थित है।

इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां माता की प्रतिमा सूर्य की दिशा के अनुसार अपनी आंखें बदलती है, और समय-समय पर उनके चेहरे के भाव भी बदलते रहते हैं। चैत्र नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

मंदिर के मुख्य आकर्षण:

* यह मंदिर सतना के भटनवारा में स्थित है।
* यह एक चमत्कारी स्थान है जहां मां की आंखें सूर्य की दिशा में घूमती हैं।
* चैत्र नवरात्रि में यहां भक्तों का भारी जमावड़ा होता है।

यह मंदिर सतना जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर अमरपाटन मार्ग पर स्थित है।

यह मंदिर लोगों की गहरी आस्था का केंद्र है और माता रानी की मूर्ति का तेज भक्तों के लिए कल्याणकारी माना जाता है। यहां हर दिन भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन चैत्र नवरात्रि और नवदुर्गा के समय यहां विशेष रूप से बहुत ज्यादा भीड़ होती है। लोग दूर-दूर से माता कालिका के दर्शन करने आते हैं, और ऐसा माना जाता है कि मां उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं।

इस मंदिर की एक और विशेषता यह है कि भटनवारा में माता कालिका की मूर्ति दिन में तीन बार अपनी भाव-भंगिमाएं बदलती है।

देवी की आंखें सूर्य की दिशा में घूमती रहती हैं, और जैसे-जैसे सूर्य का तेज बढ़ता है, माता की मूर्ति का तेज भी बढ़ता जाता है। माता रानी की आंखों में इतना तेज है कि कोई भी ज्यादा देर तक उनकी तरफ नहीं देख सकता।

यह मूर्ति लगभग 700 साल पुरानी है और लोगों का मानना है कि यह मौर्य काल की है।

एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, राजा मनह सिंह को यह मूर्ति करारी नदी के किनारे मिली थी। राजा ने नदी के किनारे एक छोटा सा मंदिर बनाकर मूर्ति स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन मां की मूर्ति उस मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई। इसके बाद, चोर इस मूर्ति को नदी के तट से चुरा ले गए, लेकिन वे इसे ज्यादा दूर तक नहीं ले जा सके। कहा जाता है कि माता ने एक भक्त को सपने में दर्शन दिए, जिसके बाद मूर्ति को उस स्थान पर लाया गया जहां आज माता कालिका विराजमान हैं।