जाति के नाम पर मध्य प्रदेश में पुलिस अधिकारी पर हमला: सच्चाई
                                            
                            सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में मध्य प्रदेश के एक पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट की घटना को जातिवादी बताया जा रहा था। सजग टीम की जांच में पता चला कि यह दावा गलत है, क्योंकि आरोपियों में से एक खुद अनुसूचित जाति का है। इंदौर में एक सब-इंस्पेक्टर के साथ हुई मारपीट के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से एक दलित समुदाय से है। इसलिए, इस घटना को जातिवाद के नजरिए से देखना सही नहीं है।                        
                                        
                    
                                            
                            सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो की जांच में सामने आया है कि मध्य प्रदेश में एक पुलिस अधिकारी के साथ हुई मारपीट का मामला जाति से जुड़ा हुआ नहीं है। सजग टीम ने अपनी पड़ताल में पाया कि इस घटना को जातिवादी रंग देना गलत है, क्योंकि आरोपियों में से एक खुद अनुसूचित जाति का है।
इस वीडियो में, एक पुलिस अधिकारी को कुछ लोग गालियां देते हुए और मारपीट करते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में एक आदिवासी पुलिस अधिकारी को जाति के आधार पर अपमानित किया गया है।
हालांकि, सजग टीम की जांच में पता चला है कि यह दावा गलत है। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से एक खुद अनुसूचित जाति से है। यह जानकारी कई खबरों में भी सामने आई है, जिनमें 'द हिंदू' की एक रिपोर्ट भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर के बाणगंगा थाने में तैनात सब-इंस्पेक्टर तेलश्वर एक्का इलाके में गाड़ियों की चेकिंग कर रहे थे, तभी एक संदिग्ध कार को रोकने पर उसमें बैठे चार लोगों ने उनके साथ मारपीट की।
इन खबरों में यह भी बताया गया है कि डाबी सरनेम अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों में इस्तेमाल होता है। इससे स्पष्ट होता है कि आरोपियों में से एक दलित समुदाय से है, इसलिए इस घटना को जातिवाद के नजरिए से देखना सही नहीं है।