यूपी में अटके जिलाध्यक्षों की नियुक्ति: अंदर की कहानी

उत्तर प्रदेश बीजेपी ने 70 जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा कर दी है, लेकिन 28 जिलों में आंतरिक खींचतान के कारण सहमति नहीं बन पाई है। सांसदों और विधायकों के बीच मतभेद के चलते नामों का ऐलान अटका हुआ है। बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व सर्वसम्मति से नाम तय करना चाहता है ताकि पार्टी में कलह न हो। दूसरी सूची में दलितों, महिलाओं और पिछड़ों को अधिक प्रतिनिधित्व देने पर विचार किया जा रहा है। जिलाध्यक्षों का चयन 2027 के यूपी चुनाव के लिए महत्वपूर्ण है। यूपी बीजेपी, समाजवादी पार्टी की पीडीए पॉलिटिक्स का मुकाबला जिलाध्यक्षों के माध्यम से करने की कोशिश कर रही है।

Mar 22, 2025 - 17:04
यूपी में अटके जिलाध्यक्षों की नियुक्ति: अंदर की कहानी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आगामी संगठनात्मक चुनावों के लिए 70 जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा कर दी है। हालांकि, 28 जिलों में अभी भी सहमति नहीं बन पाई है, जिसका मुख्य कारण आंतरिक खींचतान और गुटबाजी है।

सांसदों और विधायकों के बीच आम सहमति न बन पाने के कारण इन जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान नहीं हो सका है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव होने हैं, जिसके लिए तैयारियां चल रही हैं।

बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि सभी नाम सर्वसम्मति से तय हों, ताकि पार्टी में कोई विवाद न हो। लेकिन, कई जिलों में सांसद और विधायक आपस में सहमत नहीं हैं, जिससे यह प्रक्रिया रुकी हुई है। इस वजह से प्रदेश के जिलाध्यक्षों की दूसरी सूची जारी होने में देरी हो रही है।

बीजेपी प्रदेश चुनाव अधिकारी डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय के लोकसभा क्षेत्र चंदौली में जिलाध्यक्ष का नाम फाइनल नहीं हो पाया है। वाराणसी में भी, जो पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है, जिलाध्यक्ष का नाम तय नहीं हो सका है, क्योंकि यहां तीन दावेदार हैं। अलीगढ़, हाथरस, एटा और पीलीभीत में भी जिलाध्यक्षों को लेकर विवाद है। फतेहपुर के जिलाध्यक्ष पर घूस लेने का आरोप है, जिससे उनकी उम्मीदवारी खत्म हो गई है।

98 जिलों में से 28 में अभी तक जिलाध्यक्षों के नाम तय नहीं हुए हैं, जिनमें शामली, अमरोहा, सहारनपुर, मेरठ, हापुड़, बागपत, कानपुर, झांसी, हमीरपुर, जालौन, फतेहपुर, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, लखीमपुर, अयोध्या, जौनपुर, कौशांबी, मीरजापुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, फिरोजाबाद और अलीगढ़ शामिल हैं।

डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि अयोध्या में मिल्कीपुर उपचुनाव के कारण जिलाध्यक्ष चयन में देरी हुई। उन्होंने कहा कि जल्द ही दूसरी सूची जारी की जाएगी। पार्टी नेतृत्व इस बार दलितों, महिलाओं और पिछड़े वर्ग को अधिक प्रतिनिधित्व देने पर विचार कर रहा है। जिलाध्यक्षों का चयन 2027 के यूपी चुनाव के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

यूपी बीजेपी, समाजवादी पार्टी की पीडीए पॉलिटिक्स (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का मुकाबला जिलाध्यक्षों के माध्यम से करने की कोशिश कर रही है।