सुप्रीम कोर्ट की जांच रिपोर्ट पर कपिल सिब्बल ने उठाए सवाल
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जताई है। उन्होंने कोर्ट द्वारा आंतरिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने को 'खतरनाक मिसाल' बताया और कहा कि संस्था को ऐसे मामलों के लिए एक लिखित तंत्र बनाना चाहिए। सिब्बल ने बार से परामर्श करने और जांच पूरी होने तक टिप्पणी न करने का आग्रह किया। उन्होंने न्यायपालिका की प्रतिक्रिया की कमी पर भी चिंता व्यक्त की।

सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक खतरनाक ट्रेंड है। उन्होंने कहा कि संस्था को इस तरह के मामलों से निपटने के लिए एक लिखित तंत्र स्थापित करना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस मामले पर बार के साथ परामर्श किया जाना चाहिए और एक बड़ी समिति को इन मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए।
सिब्बल ने आगे कहा कि जब कोर्ट खुद ही किसी दस्तावेज का स्रोत होता है, तो लोग उस पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि संस्था को एक ऐसा तरीका अपनाना चाहिए जो लिखित में हो, जिससे पता चले कि ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए।
जस्टिस वर्मा के मामले पर सिब्बल ने यह भी कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी भी जिम्मेदार नागरिक को इस पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बार को हड़ताल पर जाने जैसा फैसला नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे यह मान लिया जाएगा कि कोई दोषी है।
सिब्बल ने पश्चिम बंगाल के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय और जस्टिस शेखर यादव का उदाहरण देते हुए कहा कि न्यायपालिका ने इन मुद्दों पर संस्थागत रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जो कि बहुत चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि अगर संस्था अपने अंदर की कमियों पर ध्यान नहीं देगी, तो राज्यसभा के सभापति या सत्ता में बैठी कोई राजनीतिक पार्टी एनजेएसी को फिर से शुरू करने की बात कहेगी।