ठाकुरजी की पोशाक: हिंदू कारीगरों की मांग, मुस्लिम कारीगरों में चिंता

मथुरा में ठाकुरजी की पोशाक को लेकर एक नई मांग उठी है कि भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र, हिंदू कारीगरों द्वारा तैयार किए जाएं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुकदमा लड़ रहे दिनेश फलाहारी ने यह मांग उठाई है, जिससे मुस्लिम कारीगरों के लिए रोजगार चलाना मुश्किल हो सकता है। वृंदावन में हजारों मुस्लिम परिवार ठाकुरजी की पोशाक का काम करते हैं। बांके बिहारी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि और द्वारिकाधीश मंदिर जैसे प्रमुख मंदिरों में मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाई गई पोशाकें ही पहनाई जाती हैं, जिनकी बिक्री देश और विदेश में होती है।

Mar 12, 2025 - 16:32
ठाकुरजी की पोशाक: हिंदू कारीगरों की मांग, मुस्लिम कारीगरों में चिंता
मथुरा में ठाकुरजी की पोशाक को लेकर एक नई मांग उठी है, जिसने सबका ध्यान खींचा है। होली और जुम्मे की नमाज के बीच, यह मांग की गई है कि मथुरा के ठाकुरजी, भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र, हिंदू कारीगरों द्वारा तैयार किए जाएं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुकदमा लड़ रहे दिनेश फलाहारी ने यह मांग उठाई है, जिससे मुस्लिम कारीगरों के लिए रोजगार चलाना मुश्किल हो सकता है.

मथुरा के मंदिरों में ठाकुरजी को पहनाई जाने वाली पोशाकें अब हिंदू कारीगरों से बनवाने की मांग की जा रही है। दिनेश फलाहारी ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि ठाकुरजी को जो भी पोशाक पहनाई जाए, वह हिंदू कारीगरों द्वारा तैयार की गई हो। इस मांग के बाद मुस्लिम कारीगरों और दुकानदारों की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।

एक मुस्लिम कारीगर ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास कई दुकानों पर श्रृंगार पोशाक का सामान मिलता है और मुस्लिम कारीगर कृष्ण की पोशाक बनाने का काम करते हैं। ये पोशाकें सिल्क, जरी और रेशम के धागों से बनी होती हैं, जिनकी विदेशों में भी मांग है। भारी मात्रा में ये पोशाकें विदेश भेजी जाती हैं।

एक अन्य मुस्लिम कारीगर ने कहा कि वे तब तक यह काम करते रहेंगे जब तक यह चल रहा है, लेकिन अगर लोगों ने पोशाकें खरीदना बंद कर दिया तो वे भूखे मर जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह की बयानबाजी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वे 10 से 12 घंटे काम करके मुश्किल से 400 से 500 रुपये कमा पाते हैं और वे यह काम 40 सालों से कर रहे हैं।

हकीकत यह है कि वृंदावन में हजारों मुस्लिम परिवार ठाकुरजी की पोशाक और जड़ावटी श्रृंगार का काम करते हैं, जिससे वे अपने परिवारों का पालन-पोषण करते हैं। बांके बिहारी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि और द्वारिकाधीश मंदिर जैसे प्रमुख मंदिरों में मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाई गई पोशाकें ही पहनाई जाती हैं, जिनकी बिक्री देश और विदेश में होती है।