कपल को दिल्ली HC का संरक्षण

दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़े को सुरक्षा दी और उन्हें उत्तर प्रदेश के गोंडा में गवाही के लिए भेजने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने गोंडा की अदालत से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़े का बयान दर्ज करने का आग्रह किया। जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से आदेश की प्रति गोंडा के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज तक पहुंचाई जाए ताकि संबंधित मजिस्ट्रेट याचिकाकर्ताओं का बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दर्ज करें, जिससे उनकी जान को खतरा न हो। हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे।

May 21, 2025 - 15:23
कपल को दिल्ली HC का संरक्षण
दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़े को दी सुरक्षा, गोंडा भेजने से किया इनकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़े को सुरक्षा प्रदान करते हुए उन्हें उत्तर प्रदेश के गोंडा में गवाही के लिए भेजने से इनकार कर दिया है। अदालत ने गोंडा की अदालत से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़े का बयान दर्ज करने का आग्रह किया है।

जस्टिस गिरीश कठपालिया ने अपने आदेश में कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से आदेश की प्रति गोंडा के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज तक पहुंचाई जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संबंधित मजिस्ट्रेट याचिकाकर्ताओं का बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दर्ज करें, जिससे उनकी जान को खतरा न हो।

हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे और उन्हें स्थानीय सब इंस्पेक्टर का नंबर दे, ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल मदद मिल सके।

कपल ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने अंतरजातीय विवाह किया है और उन्हें जान का खतरा है। लड़की के भाई ने गोंडा के करनैलगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें उसने अपनी बहन पर घर से भागने और गहने ले जाने का आरोप लगाया था।

कोर्ट ने पाया कि लड़की 21 साल की है और दोनों शादी के बाद खुशहाल जीवन जी रहे हैं, लेकिन वे अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। गोंडा पुलिस ने दिल्ली आकर कपल का बयान दर्ज किया था और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत उनके बयान दर्ज करने के लिए उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने का निर्देश दिया था, ताकि गोंडा में दर्ज एफआईआर रद्द हो सके।

हाई कोर्ट ने इस बात पर सहमति जताई कि याचिकाकर्ताओं को गोंडा भेजने पर उनकी जान को खतरा हो सकता है।