एमपी में फिजियोथेरेपिस्ट अब डॉक्टर, स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुमति जरूरी
मध्य प्रदेश सरकार ने फिजियोथेरेपिस्ट को डॉक्टर मानने की अनुमति दी है और 'डॉ.' की उपाधि के उपयोग के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुमति लेने की प्रक्रिया को स्पष्ट किया है। सरकार ने फिजियोथेरेपी के दायरे को परिभाषित किया है, जिसके अनुसार फिजियोथेरेपिस्ट व्यापक जांच और निरीक्षण के बाद विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके लोगों का इलाज करते हैं। राज्य में 3028 पंजीकृत फिजियोथेरेपिस्ट हैं, लेकिन वर्तमान में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नियमित पद स्वीकृत नहीं हैं, हालांकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कुछ संविदा पद उपलब्ध हैं。
सरकार ने फिजियोथेरेपी के दायरे को भी परिभाषित किया है, जिसके अनुसार फिजियोथेरेपिस्ट व्यापक जांच और निरीक्षण के बाद एक्सरसाइज, मोबिलिटी, मैन्युअल थेरेपी, इलेक्ट्रिकल और थर्मल एजेंट्स जैसी तकनीकों का उपयोग करके लोगों का इलाज करते हैं। उनके पास ग्रेजुएट डिग्री होनी चाहिए, और नर्सिंग होम अधिनियम 1973 के तहत फिजियोथेरेपी सेंटर में बैचलर डिग्री वाले फिजियोथेरेपिस्ट का होना अनिवार्य है।
राज्य में 3028 पंजीकृत फिजियोथेरेपिस्ट हैं, जिनमें से 286 के पास मास्टर डिग्री और 2742 के पास बैचलर डिग्री है। वर्तमान में, सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में फिजियोथेरेपिस्ट के नियमित पद स्वीकृत नहीं हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 107 संविदा पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 94 भरे हुए हैं। सरकार ने फिजियोथेरेपिस्ट के काम, उनके दायरे और रोजगार की स्थिति पर विस्तृत जानकारी प्रदान की है, जो फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में काम करने वालों और आम जनता के लिए महत्वपूर्ण है।