मध्य प्रदेश की धरोहरें: यूनेस्को की सूची में नया अध्याय
मध्य प्रदेश के लिए खुशखबरी है क्योंकि यूनेस्को की संभावित सूची में राज्य की चार ऐतिहासिक धरोहरों को शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यूनेस्को की इस सूची में सम्राट अशोक के शिलालेख, चौसठ योगिनी मंदिर, गुप्तकालीन मंदिर और बुंदेला काल के किला-महल शामिल हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को दुनिया भर में पहचान मिल रही है। यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त ये चार नई धरोहरें मध्य प्रदेश के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को दर्शाती हैं। इन धरोहरों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। ग्वालियर किला, बुरहानपुर का खूनी भंडारा, चंबल घाटी के शैल कला स्थल, भोजपुर का भोजेश्वर महादेव मंदिर, मंडला स्थित रामनगर के गोंड स्मारक और धमनार का ऐतिहासिक समूह पहले से ही यूनेस्को की शुरुआती सूची में शामिल हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस उपलब्धि के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड, संस्कृति विभाग और अन्य सभी योगदानकर्ताओं को बधाई दी है। यूनेस्को की शुरुआती सूची में शामिल होने वाली ये धरोहरें मध्य प्रदेश के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को दर्शाती हैं।
इन धरोहरों में सम्राट अशोक के शिलालेख सबसे पुराने हैं, जो 2200 साल से भी अधिक पुराने हैं। इन शिलालेखों में अशोक के संदेश लिखे हैं, जो बौद्ध धर्म, शासन और नैतिकता से जुड़े हैं। मध्य प्रदेश में ये शिलालेख सांची, जबलपुर, दतिया और सीहोर में पाए जाते हैं।
चौसठ योगिनी मंदिर 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच बने थे और ये तांत्रिक परंपराओं से जुड़े हैं। इन मंदिरों की बनावट गोलाकार है और ये खुले आकाश के नीचे बने हैं। इनकी शिल्पकला और आध्यात्मिक महत्व दर्शनीय है। ये मंदिर खजुराहो, मितावली, जबलपुर, बदोह, हिंगलाजगढ़, शहडोल और नरेसर में स्थित हैं।
गुप्तकालीन मंदिर भारतीय स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन मंदिरों में उत्कृष्ट नक्काशी और कलात्मक सौंदर्य दिखाई देता है। मध्य प्रदेश में ये मंदिर सांची, उदयगिरि, नचना, तिगवा, भूमरा, सकोर, देवरी और पवाया में पाए जाते हैं।
बुंदेला शासकों के किले और महल राजपूत और मुगल स्थापत्य कला का मिश्रण हैं। ये किले और महल बुंदेलों की शिल्पकला, सैन्य कुशलता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को दर्शाते हैं। गढ़कुंडार किला, राजा महल, जहांगीर महल, दतिया महल और धुबेला महल इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
उल्लेखनीय है कि ग्वालियर किला, बुरहानपुर का खूनी भंडारा, चंबल घाटी के शैल कला स्थल, भोजपुर का भोजेश्वर महादेव मंदिर, मंडला स्थित रामनगर के गोंड स्मारक और धमनार का ऐतिहासिक समूह पहले से ही यूनेस्को की शुरुआती सूची में शामिल हैं। खजुराहो के मंदिर समूह, भीमबेटका की गुफाएं और सांची स्तूप स्थायी सूची में शामिल हैं। मांडू के स्मारक, ओरछा का ऐतिहासिक समूह, भेड़ाघाट-लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और चंदेरी भी शुरुआती सूची में हैं।