चरमपंथी समूहों से पाकिस्तान को खतरा

पाकिस्तान अपने ही बनाए संकट में फंसा है, अर्थव्यवस्था कर्ज़ पर निर्भर है। हर नेता कर्ज़ जुटाने की चुनौती से जूझ रहा है। पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है, जिसका नतीजा आज भुगत रहा है। ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 के अनुसार, पाकिस्तान में आतंकवादी हमले बढ़े हैं। टीटीपी ने 482 हमले किए, जिसमें 558 लोग मारे गए। अफगान तालिबान टीटीपी को शरण दे रहा है, और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने भी हमले तेज़ कर दिए हैं। इस्लामिक स्टेट भी पाकिस्तान में बढ़ रहा है, जिससे देश की सुरक्षा स्थिति और खराब हो रही है।

Mar 21, 2025 - 23:12
चरमपंथी समूहों से पाकिस्तान को खतरा
पाकिस्तान आजकल अपने ही बनाए हुए संकट में फंसा हुआ है। देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कर्ज़ पर निर्भर है। पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने वाले हर नेता के सामने एक ही चुनौती होती है कि कैसे भीख मांगकर देश के लिए कर्ज़ जुटाया जाए।

पाकिस्तान आज अपने किए की सज़ा भुगत रहा है। यह सज़ा इतनी भयानक है कि पाकिस्तान को बर्बाद कर रही है। फिर भी, यह देश सुधरने को तैयार नहीं है और आने वाली पीढ़ी के दिमाग में वही आतंकवाद का बीज बो रहा है। पाकिस्तान अपनी स्थापना से ही आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है। पाकिस्तान की सेना ने इस आतंकवाद को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया, लेकिन आज वही आतंकवाद पाकिस्तान को नुकसान पहुंचा रहा है। इसका ताज़ा उदाहरण ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स की 2025 की रिपोर्ट है।

ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स (जीटीआइ) 2025 के अनुसार, पाकिस्तान में आतंकवादी हमले 2023 में 517 से बढ़कर 2024 में 1,099 हो गए। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने 482 हमले किए, जिसमें 558 लोग मारे गए, जो पिछले साल की तुलना में 91% ज़्यादा है। टीटीपी का फिर से उभरना कोई संयोग नहीं है। यह पाकिस्तान की गलत विदेश नीति, सेना की नाकामी और अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद के खेल का नतीजा है।

पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सालों से आतंकवादी समूहों को "रणनीतिक संपत्ति" के तौर पर इस्तेमाल किया है। पाकिस्तान ने इन आतंकवादियों का इस्तेमाल अफगानिस्तान और भारत में अशांति फैलाने के लिए किया। 2021 में जब अफगान तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा किया, तो पाकिस्तान के जनरलों ने खुशी मनाई, क्योंकि उन्हें लगा कि उन्होंने अपने पड़ोसी देश में अपनी कठपुतली सरकार बना ली है। लेकिन, जल्द ही उनका यह भ्रम टूट गया और वे आज तक उस गलती की कीमत चुका रहे हैं।

अफगान तालिबान अब खुले तौर पर टीटीपी को शरण दे रहा है, जिससे उन्हें फिर से संगठित होने और पाकिस्तान पर हमला करने के लिए सुरक्षित ठिकाना मिल रहा है। कभी तालिबान को अपने इशारों पर चलाने वाला पाकिस्तान आज टीटीपी को रोकने के लिए उनसे भीख मांग रहा है। हालांकि, तालिबान ने पाकिस्तान के आरोपों को साफ तौर पर नकार दिया है। तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान अपनी अंदरूनी समस्या के लिए अफगानिस्तान को दोषी ठहरा रहा है।

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने अपने विद्रोह को और तेज़ कर दिया है। इस समूह ने 2024 में 504 हमले किए, जबकि 2023 में यह संख्या सिर्फ 116 थी। 11 मार्च, 2025 को जाफर एक्सप्रेस में हुए बम धमाके में 21 नागरिक और चार सैनिक मारे गए। बीएलए ने इस ट्रेन को अगवा कर लिया था। इस घटना से पूरी दुनिया में पाकिस्तान की बदनामी हुई थी। बीएलए ने दावा किया था कि उसने 150 से ज़्यादा पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को अगवा करके मार डाला था। इस बीच, आईएसआईएस-के, हाफिज गुल बहादुर का गुट और 75 से ज़्यादा छोटे आतंकवादी संगठन पाकिस्तान की कमज़ोरी का फायदा उठा रहे हैं।

इस्लामिक स्टेट भी पाकिस्तान में तेज़ी से बढ़ रहा है। हालांकि, ऐसी खबरें हैं कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने इस्लामिक स्टेट के साथ एक गुप्त समझौता किया है। इस समझौते के तहत पाकिस्तानी सेना इस्लामिक स्टेट की मदद कर रही है। बदले में इस्लामिक स्टेट अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ हमले कर रहा है। इससे अफगानिस्तान में तालिबान के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो रही हैं और पाकिस्तान इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। इसके बावजूद पाकिस्तान में हुए कई आतंकवादी हमलों में इस्लामिक स्टेट का नाम सामने आया है。