कन्हैया कुमार: बिहार कांग्रेस का नया चेहरा, तेजस्वी के साथ मिलकर करेंगे काम
बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश कुमार ने आगामी विधानसभा चुनाव में कन्हैया कुमार की भूमिका को लेकर संकेत दिए हैं कि उन्हें पार्टी का प्रमुख चेहरा बनाया जाएगा और तेजस्वी यादव के साथ-साथ उन्हें भी समान महत्व दिया जाएगा। कांग्रेस अब महागठबंधन में सिर्फ तेजस्वी यादव पर निर्भर नहीं रहना चाहती, इसलिए कन्हैया को उनके बराबर का दर्जा देने की तैयारी है। राजेश कुमार ने कहा कि पार्टी अपने अच्छे वक्ताओं को जनहित के मुद्दों से जोड़ती है और कन्हैया कुमार को सभी देख और सुन रहे हैं। उन्होंने बिहार सरकार पर धार्मिक एजेंडे को बढ़ावा देने और भेदभाव बढ़ाने का आरोप भी लगाया।

राजेश कुमार ने कहा कि पार्टी अच्छे वक्ताओं को जनता से जुड़े मुद्दों से जोड़ती है। उन्होंने इशारों में यह भी स्पष्ट कर दिया कि कन्हैया कुमार बिहार चुनाव में कांग्रेस के खास चेहरों में से एक होंगे। यह भी चर्चा है कि कांग्रेस अब महागठबंधन में केवल तेजस्वी यादव पर निर्भर नहीं रहना चाहती, इसलिए कन्हैया को उनके बराबर का दर्जा देने की तैयारी है। हालांकि, कांग्रेस इस पर कोई आधिकारिक बयान देने से बच रही है, लेकिन पार्टी के हालिया फैसलों से संकेत मिलता है कि वह बिहार में एक अलग रणनीति के साथ आगे बढ़ना चाहती है।
राजेश कुमार ने कहा कि कन्हैया कुमार को सभी देख और सुन रहे हैं और उनकी भूमिका स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि हर पार्टी, खासकर अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी, अपने अच्छे वक्ताओं को जनहित के मुद्दों से जोड़ती है ताकि जनता को लाभ हो। उन्होंने यह भी कहा कि यह संगठन का काम है कि वह किसे कहां पर तैनात करे।
सीटों के बंटवारे पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस का रुख स्पष्ट है कि वह 'इंडिया' गठबंधन में शामिल दलों के साथ मिलकर काम करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि वे बेरोजगारी, युवाओं और दलितों के अधिकारों के मुद्दों पर सत्ताधारी पार्टी से मुकाबला करेंगे।
कन्हैया कुमार की सहरसा में मंदिर यात्रा और उसके बाद मंदिर को धोए जाने के मुद्दे पर राजेश कुमार ने कहा कि भारत का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है और लोगों को अपनी मर्जी से किसी भी धार्मिक स्थल पर जाने की अनुमति है। उन्होंने बिहार सरकार पर धार्मिक एजेंडे को बढ़ावा देने और भेदभाव बढ़ाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जिस तरह कभी दलितों को मंदिरों में जाने से रोका जाता था, उसी तरह आज परशुराम समाज के वंशजों को रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि जनता को यह तय करने देना चाहिए कि ऐसे मुद्दे पर क्या रुख अपनाना है और देश किस दिशा में जा रहा है।