मरीज बेचने वाले कर्मचारियों पर गिरी गाज, 8 बर्खास्त
बड़वानी में मरीज बेचने वाले एंबुलेंस कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई, जिसमें 8 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया। 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारियों द्वारा घायलों को निजी अस्पतालों में ले जाकर 'नीलामी' करने की शिकायत मिली थी, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई। शिकायतकर्ताओं के अनुसार, एंबुलेंस कर्मचारी कमीशन के आधार पर घायलों को निजी अस्पतालों में भेज रहे थे। शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन और सांसदों तक पहुंचने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई की। जांच में पाया गया कि एंबुलेंस स्टाफ कमीशन लेकर मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजता था। पारदर्शिता लाने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जा रहा है।

एमपी के बड़वानी जिले में 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारियों द्वारा घायलों को सरकारी अस्पतालों की जगह निजी अस्पतालों में ले जाकर 'नीलामी' करने की शिकायत मिली थी। इस मामले में जांच के बाद 8 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया।
शिकायतकर्ताओं के अनुसार, एंबुलेंस कर्मचारी घायलों को निजी अस्पतालों में कमीशन के आधार पर भेज रहे थे। इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन और सांसदों तक पहुंचने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई की।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉक्टर सुरेखा जमरे ने बताया कि 108 और जननी वाहनों के स्टाफ के खिलाफ शिकायत मिली थी कि वे मरीजों को सरकारी अस्पतालों की जगह कमीशन लेकर निजी अस्पतालों में ले जा रहे हैं। जांच में यह बात सही पाई गई।
इस मामले में दो लोगों ने मुख्यमंत्री ऑनलाइन में शिकायत दर्ज कराई थी। क्षेत्रीय सांसद गजेंद्र पटेल और राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुमेर सिंह सोलंकी ने भी इस पर नाराजगी जताई थी और सीएमएचओ से कार्रवाई करने के लिए कहा था। जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद तीन ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) और चार पायलटों को ड्यूटी से हटा दिया गया।
एक व्हिसिल ब्लोअर सुनील शर्मा ने शिकायत की थी कि सिलावद क्षेत्र के पायलट और इस पूरे मामले के मास्टरमाइंड हेमंत कमल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिसके बाद 108 के जिला समन्वयक ने शिकायत को सही पाया और उसे भी हटा दिया।
डॉक्टर सुरेखा जमरे के अनुसार, 108 के जिला समन्वयक ने ईएमटी और पायलटों की मीटिंग बुलाई और उन्हें सख्त निर्देश दिए कि भविष्य में ऐसी कोई भी हरकत दोबारा नहीं होनी चाहिए। जिला कोऑर्डिनेटर ने भरोसा दिलाया है कि अगर कोई भी EMT या पायलट कमीशनखोरी में लिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि 108 का स्टाफ घायलों को सरकारी अस्पताल ले जाने के बजाय निजी अस्पतालों में ले जाता था और घायल की चोट के हिसाब से निजी अस्पताल के मालिकों से कमीशन मांगता था। जो अस्पताल संचालक सबसे ज्यादा कमीशन देता था, 108 का स्टाफ घायल को उसी अस्पताल में पहुंचाता था।
इन घटनाओं के सामने आने के बाद जांच के आदेश दिए गए थे। डॉक्टर प्रमोद गुप्ता, डॉ मनोज खन्ना, डॉक्टर चंद्रजीत सांवले और अनिल पटेल ने इस मामले की जांच की और अपनी रिपोर्ट CMHO को सौंपी। सीएमएचओ ने बताया कि व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए 108 और जननी वाहन के स्टाफ और कोऑर्डिनेटर के साथ एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जा रहा है। इस ग्रुप में घायलों या प्रसूताओं को अस्पताल पहुंचाने की जानकारी जरूरी रूप से शेयर की जाएगी, जिससे पता चल सकेगा कि मरीजों को कहां ले जाया जा रहा है।