बिहार चुनाव के जरिए कांग्रेस का सहयोगी दलों को संदेश

कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव के माध्यम से अपने सहयोगी दलों को एक कड़ा संदेश दे रही है। पार्टी ने कन्हैया कुमार को बिहार चुनाव में शामिल करके इस मुद्दे को और बढ़ा दिया है, जिससे आरजेडी में नाराजगी है क्योंकि कन्हैया और तेजस्वी यादव के बीच अच्छे संबंध नहीं हैं। कांग्रेस 'पलायन रोको नौकरी दो' यात्रा शुरू करने वाली है, जिसमें कन्हैया कुमार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और राहुल गांधी के भी शामिल होने की संभावना है। इसके अतिरिक्त, कांग्रेस असम और केरल में सत्ता में वापसी के लिए उत्सुक है और बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।

Mar 16, 2025 - 08:47
बिहार चुनाव के जरिए कांग्रेस का सहयोगी दलों को संदेश
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को टक्कर देने के लिए तैयार हुए विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन का वजूद लगातार संकट में पड़ता जा रहा है।

दरअसल, इस गठबंधन का सबसे बड़ा दल कांग्रेस ही अलग राह पर चल पड़ा है। दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में करारी हार के बाद कांग्रेस कोई चांस नहीं लेना चाहती। राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर अटकलें तेज हैं कि कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव के जरिए अपने सहयोगी दलों को सख्त संदेश दे रही है। कांग्रेस ने बिहार चुनाव में कन्हैया कुमार की एंट्री करवाकर इस मुद्दे को और हवा दे दी है।

दरअसल बिहार में कांग्रेस 'पलायन रोको नौकरी दो' यात्रा शुरू करने वाली है। यह यात्रा पश्चिमी चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से शुरू होगी, जो पटना पहुंचेगी। कन्हैया कुमार इस यात्रा में प्रमुख भूमिका निभाएंगे। राहुल गांधी के दो बार इस यात्रा में शामिल होने की संभावना है। कन्हैया कुमार की एंट्री से कांग्रेस की सहयोगी आरजेडी नाखुश है। कन्हैया कुमार और तेजस्वी यादव के बीच अच्छे रिश्ते नहीं है। मई 2023 में पटना में हुए प्रज्ञापति सम्मेलन में कन्हैया के शामिल होने पर मुख्य अतिथि तेजस्वी यादव ने कार्यक्रम से दूरी बना ली थी। हालांकि कांग्रेस कन्हैया के जरिए बिहार में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश में है।

कांग्रेस को अगले साल होने वाले असेंबली चुनावों को लेकर जिन दो राज्यों पर उम्मीदें टिकी हुई है, उनमें असम और केरल प्रमुख है। इन दोनों ही राज्यों में सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस आतुर है। असम चुनाव के मद्देनजर हाल ही में कांग्रेस के नए मुख्यालय में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश नेताओं से लंबी बैठक की, जिसमें कई पहलुओं पर चर्चा हुई। असम के नेताओं के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल मौजूद थे।