सोच-विचार की आदत: थैरेपियूटिक लेजीनेस से बिगड़ सकती है जिंदगी
आज की तेज़-रफ़्तार ज़िंदगी में लोग मानसिक स्वास्थ्य के लिए ब्रेक लेते हैं, पर ये थैरेप्यूटिक लेजीनेस बन जाए तो काम से दूरी होने लगती है। डॉ. आस्तिक जोशी के मुताबिक, ये एक मानसिक जाल है, जहाँ व्यक्ति खुद को सही ठहराता है पर विकास रोकता है। इसके लक्षणों में काम टालना, ओवरथिंकिंग, और कम्फर्ट जोन से बाहर न निकलना शामिल हैं, जिससे करियर और रिश्ते प्रभावित होते हैं। इस फंदे से बचने के लिए छोटे बदलाव करें, रूटीन बनाएं, और माइंडफुलनेस का अभ्यास करें।

दिल्ली के चाइल्ड एडोलिसेंट और फोरेंसिक साइकैटरिस्ट डॉक्टर आस्तिक जोशी के अनुसार, यह एक ऐसा मानसिक जाल है, जहाँ व्यक्ति खुद को यह कहकर दिलासा देता है कि वह अपना भला कर रहा है, जबकि हकीकत में वह अपने विकास को अवरुद्ध कर रहा होता है। थैरेपियूटिक लेजीनेस के लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होते हैं, जैसे काम को लगातार टालना, हर चीज के बारे में बहुत ज्यादा सोचना, कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने से बचना और दूसरों से भावनात्मक रूप से दूर रहना। समय रहते इस समस्या को पहचानना जरूरी है, वरना यह करियर, रिश्तों और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है।
इसलिए, इसके लक्षणों को समझना और सही कदम उठाना जरूरी है। आराम और आलस के बीच का फर्क समझना जरूरी है, क्योंकि इस सीमा को पार करने से जिंदगी नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है।
थैरेपियूटिक लेजीनेस: एक खतरनाक जाल
यह सामान्य आलस नहीं है, बल्कि एक मानसिक फंदा है, जहाँ व्यक्ति अत्यधिक आराम को प्राथमिकता देता है, जिससे विकास रुक जाता है और नए कदम उठाने में डर लगता है। लोग अक्सर 'मैं अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल रख रहा हूँ' यह सोचकर जरूरी कामों से बचने लगते हैं, और ब्रेक हफ्तों या महीनों तक खिंच सकते हैं। वे यह भी सोचने लगते हैं कि ज्यादा मेहनत करने से तनाव बढ़ेगा, जिससे वे हर चुनौतीपूर्ण परिस्थिति से दूर रहने लगते हैं।
पहचानें कि आप जाल में हैं या नहीं
यदि आप लगातार काम टालते हैं, अनुशासन की कमी महसूस करते हैं, हर चीज पर बहुत ज्यादा सोचते हैं, अपने कम्फर्ट जोन से बाहर नहीं निकलते हैं, और छोटी-छोटी बातों पर तनाव लेते हैं, तो यह थैरेप्यूटिक लेजीनेस का संकेत हो सकता है।
कैसे निकलें इस जाल से?
इस मानसिक फंदे से बचने के लिए छोटे-छोटे बदलाव करें, रूटीन में अनुशासन लाएं, ब्रेक लें लेकिन संतुलन बनाए रखें, माइंडफुलनेस का अभ्यास करें और हर हफ्ते खुद को नई चुनौती दें।