फिटनेस के नाम पर क्रैश डाइट और वर्कआउट: फर्टिलिटी पर असर
आजकल वजन बढ़ने की समस्या से ज्यादातर लोग परेशान हैं, और इससे निपटने के लिए क्रैश डाइट और वर्कआउट का सहारा लेते हैं। डॉ. ज्योति गुप्ता के अनुसार, ये तरीके फर्टिलिटी पर बुरा असर डाल सकते हैं। शरीर में पोषक तत्वों की कमी और फिजिकल स्ट्रेस बढ़ने से रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर सीधा असर पड़ता है। खराब लाइफस्टाइल से हार्मोन असंतुलन होता है, जिससे कंसीव करने में दिक्कत आती है। क्रैश डाइट में कैलोरी कम करने से पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं। कम फैट गर्भधारण न कर पाने का संकेत हो सकता है। ज्यादा वर्कआउट से एस्ट्रोजन लेवल कम हो जाता है। मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखना जरूरी है।

आजकल वजन बढ़ने की समस्या से ज्यादातर लोग परेशान हैं, और इससे निपटने के लिए क्रैश डाइट और वर्कआउट का सहारा लेते हैं। लेकिन, डॉ. ज्योति गुप्ता के अनुसार, ये तरीके फर्टिलिटी पर बुरा असर डाल सकते हैं।
रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर प्रभाव:
शरीर में पोषक तत्वों की कमी और फिजिकल स्ट्रेस बढ़ने से रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर सीधा असर पड़ता है। इसलिए, सही संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
फिजिकल हेल्थ होती है खराब:
हार्मोन का सही संतुलन प्रजनन क्षमता के लिए जरूरी है। खराब लाइफस्टाइल से हार्मोन असंतुलन होता है, जिससे कंसीव करने में दिक्कत आती है।
क्रैश डाइट से पोषक तत्वों की कमी:
क्रैश डाइट में कैलोरी कम करने से पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं।
पीसीओएस का खतरा:
कम फैट गर्भधारण न कर पाने का संकेत हो सकता है, जबकि ज्यादा वजन से पीसीओएस जैसी स्थितियां हो सकती हैं।
प्रेग्नेंसी में रिस्क:
क्रैश डाइट से पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे अंडों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है और प्रेग्नेंसी में खतरा हो सकता है।
रूक सकता है ओव्यूलेशन:
ज्यादा वर्कआउट से एस्ट्रोजन लेवल कम हो जाता है, जिससे पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं और प्रेग्नेंसी में दिक्कत आती है।
मेंटल लोड को कम करेगा योग:
फिट रहने के लिए वर्कआउट करने से शरीर पर दबाव पड़ता है, जिससे थकान और मेंटल लोड बढ़ जाता है। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखना जरूरी है।