स्वाइन फ्लू से बचाव: लक्षण, कारण और टीकाकरण

देश में फ्लू का प्रकोप बढ़ रहा है, खासकर स्वाइन फ्लू के मामले। स्वास्थ्य विभाग ने सावधानी बरतने की सलाह दी है। स्वाइन फ्लू संक्रमित मरीजों की खांसने, छींकने से फैलता है। इसके लक्षणों में बुखार, गले में जलन, मांसपेशियों में दर्द और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं। बचाव के लिए बार-बार हाथ धोएं, मास्क पहनें, स्वस्थ आहार लें और संक्रमितों से दूर रहें। सितंबर-अक्टूबर में फ्लू का वैक्सीन लगवाएं, जो बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए जरूरी है। हृदय रोग, अस्थमा या मधुमेह से पीड़ित लोग भी टीका लगवाएं।

Mar 22, 2025 - 17:10
स्वाइन फ्लू से बचाव: लक्षण, कारण और टीकाकरण
देश में इन दिनों फ्लू का प्रकोप बढ़ रहा है, जिसमें तेज बुखार और खांसी-जुकाम जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में फ्लू वैक्सीन लेना आवश्यक है, जो न केवल आपको बल्कि आपके परिवार और समाज को भी सुरक्षित रखेगा।

भारत में स्वाइन फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिनमें इन्फ्लूएंजा बी और एच1एन1 (स्वाइन फ्लू) प्रमुख हैं। स्वास्थ्य विभाग ने भी इससे बचने के लिए सावधानी बरतने की अपील की है। बदलते मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे फ्लू, खांसी, बुखार जैसी समस्याएं होने लगती हैं। यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह समस्या बढ़ सकती है। दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्य इससे प्रभावित हैं।

कैसे फैलता है स्वाइन फ्लू?
स्वाइन फ्लू नियमित फ्लू वायरस की तरह ही फैलता है, संक्रमित मरीजों की खांसने, छींकने या बोलने से निकलने वाले थूक से यह संक्रमण तेजी से फैलता है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण:
  • बुखार
  • गले में जलन, खराश और खांसी
  • मांसपेशियों में दर्द और थकान
  • सांस लेने में कठिनाई


संक्रमण से बचाव के तरीके:
  • बार-बार हाथ धोएं
  • मास्क पहनें
  • स्वस्थ आहार लें
  • संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाएं
  • टीका लगवाएं


कब लगवाएं फ्लू का वैक्सीन:
सितंबर-अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा है, लेकिन नवंबर-दिसंबर में भी यह प्रभावी होती है। जनवरी में भी वैक्सीन लगवाई जा सकती है।

क्यों जरूरी है वैक्सीन:
यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और गंभीर संक्रमण से बचाने में मदद करती है, खासकर बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए।

किन लोगों को जरूर लगवाना चाहिए टीका:
6 महीने से अधिक उम्र के सभी लोग, 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और हृदय रोग, अस्थमा या मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित लोग।