बिहार में बने जूतों का रूसी सेना में जलवा!
भारत अब 65% रक्षा उपकरण खुद बना रहा है, जो आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। 'मेक इन इंडिया' से रक्षा उत्पादन बढ़ा है। 2023-24 में यह 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। 'मेड इन बिहार' जूते रूसी सेना में उपयोग हो रहे हैं, जो उच्च विनिर्माण मानकों को दर्शाता है। सरकार का लक्ष्य 2029 तक रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना है। रक्षा क्षेत्र में FDI को बढ़ावा दिया गया है। रक्षा बजट 2013-14 में 2.53 लाख करोड़ रुपये था, जो 2025-26 में बढ़कर 6.81 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

'मेक इन इंडिया' पहल के बाद, भारत का रक्षा उत्पादन तेजी से बढ़ा है। 2023-24 में यह 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। भारत अब बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर विमान, चेतक हेलीकॉप्टर और हल्के टॉरपीडो जैसे रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रहा है।
सबसे खास बात यह है कि 'मेड इन बिहार' जूते अब रूसी सेना के साजो-सामान का हिस्सा हैं। यह भारत के उच्च विनिर्माण मानकों को दर्शाता है। सरकार का लक्ष्य 2029 तक रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना है। इससे भारत वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में और मजबूत होगा। रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
सितंबर 2020 में, स्वचालित मार्ग से 74% तक और सरकारी मार्ग से 74% से अधिक एफडीआई की अनुमति दी गई। अप्रैल 2000 से रक्षा उद्योगों में कुल एफडीआई 5,516.16 करोड़ रुपये रहा है। सरकार रक्षा बजट को भी बढ़ा रही है। 2013-14 में यह 2.53 लाख करोड़ रुपये था, जो 2025-26 में बढ़कर 6.81 लाख करोड़ रुपये हो गया है।