आयुर्वेद से हड्डियों में कैल्शियम कैसे बढ़ाएं
यह लेख हड्डी के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम के महत्व पर जोर देता है और सुझाव देता है कि सफेद तिल कैल्शियम का एक बड़ा स्रोत है। आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. इरफान के अनुसार, कैल्शियम की कमी से निपटने के लिए 5 से 75 वर्ष की आयु के लोग सफेद तिल का सेवन कर सकते हैं। लेख में उल्लेख किया गया है कि 100 ग्राम सफेद तिल में 975 मिलीग्राम कैल्शियम होता है, जो दूध और अन्य डेयरी उत्पादों से अधिक है। यह सफेद तिल के बीज का पाउडर तैयार करने की विधि और दूध के साथ इसका सेवन कैसे करें, यह भी बताता है। इसके अलावा, यह कैल्शियम के लाभों पर प्रकाश डालता है, जैसे हड्डियों और दांतों को मजबूत करना, मांसपेशियों के कार्य में सहायता करना, हृदय गति को नियंत्रित करना और रक्तचाप को संतुलित करना। लेख एक अस्वीकरण के साथ समाप्त होता है जिसमें कहा गया है कि यह केवल सामान्य जानकारी के लिए है और अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है.

सफेद तिल कैल्शियम से भरपूर होते हैं, जिसमें लगभग 975 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होता है, जो दूध और अन्य डेयरी उत्पादों में कैल्शियम की मात्रा से अधिक है। उपयोग करने के लिए, 300-400 ग्राम तिल को भूनें, उन्हें पीसकर पाउडर बना लें और एक साफ कंटेनर में स्टोर करें। इस पाउडर का एक चम्मच सुबह और शाम दूध के साथ सेवन करें। यह उपाय बच्चों के लिए भी फायदेमंद है, जिससे उनकी ताकत और संज्ञानात्मक कार्य में सुधार होता है।
कैल्शियम मजबूत हड्डियों और दांतों को बनाए रखने, ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने, मांसपेशियों के कार्य का समर्थन करने, हृदय गति को विनियमित करने और रक्तचाप को संतुलित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह शरीर के भीतर हार्मोन और एंजाइम उत्पादन में भी सहायता करता है।
अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी प्रदान करता है और पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। व्यक्तिगत मार्गदर्शन के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श लें।