वक्फ संशोधन: मुस्लिम समाज के लिए तरक्की का नया रास्ता
लेखिका कौसर जहां कहती हैं कि वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन कानून को लेकर विपक्ष का सियासत करना दुर्भाग्यपूर्ण है। मुस्लिम समुदाय के अधिकांश लोगों को यह बात समझ आ गई है, मगर उन्हें गुमराह करने की कोशिश हो रही है। वक्फ सुधारों को लेकर कोई भी यह नहीं समझा सका कि इससे आम मुसलमान को क्या फायदा या नुकसान होगा। हां, धर्म के नाम पर ठेकेदारी करने वालों को जरूर डर है कि उनकी दुकान बंद हो जाएगी।

नई दिल्ली: वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन को लेकर विपक्ष की राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण है। मुस्लिम समुदाय के लिए जड़ता नुकसानदेह है, और ज्यादातर लोग इसे समझते हैं, लेकिन उन्हें गुमराह किया जा रहा है। वक्फ सुधारों पर कई मुस्लिम विद्वानों से बात करने पर, यह स्पष्ट हुआ कि इससे आम मुसलमान को कोई नुकसान नहीं होगा।
धर्म के नाम पर ठेकेदारी करने वालों को डर है कि उनकी दुकानें बंद हो जाएंगी और अवैध कब्जों का पर्दाफाश होगा। कट्टरपंथी आम मुस्लिमों को ढाल बनाना चाहते हैं ताकि संपत्ति का दुरुपयोग छिप सके, जबकि इसका उपयोग उनकी बेहतरी के लिए होना चाहिए।
इन सुधारों से आम मुसलमानों को फायदा होगा और चंद लोगों का एकाधिकार खत्म होगा। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भी विरोधियों ने सार्थक सुझाव के बजाय चर्चा रोकने की कोशिश की। मुस्लिम समाज में सुधारों का हिस्सा बनने और कट्टरपंथी ताकतों से मुक्त होने की छटपटाहट है। मुस्लिम महिलाएं समान भागीदारी चाहती हैं, और वक्फ संशोधन संविधान की भावना के अनुरूप है, जो बराबरी के सिद्धांत पर टिका है।
महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और नए विचार आएंगे। केंद्र सरकार ने पुरानी गलतियों को सुधार कर नई व्यवस्था के लिए संशोधन प्रस्तावित किए हैं, जिससे वक्फ बोर्ड प्रभावी रूप से काम कर पाएगा। यह सच्चर कमिटी की सिफारिशों के अनुरूप है। यह धार्मिक मामलों में दखल नहीं है, बल्कि संपत्तियों के प्रबंधन का मामला है। वक्फ को चुनिंदा लोगों के चंगुल से मुक्त करना जरूरी है ताकि संपत्तियों का बेहतर उपयोग हो सके।
अधिनियम में संशोधन करके एक पारदर्शी, जवाबदेह और समान प्रतिनिधित्व की व्यवस्था लागू करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के उपेक्षित तबकों की भागीदारी का इंतजाम है। नए प्रावधानों में वक्फ संपत्ति को निष्पक्ष तरीके से चिह्नित करने और विवादों का कानूनी निस्तारण करने की व्यवस्था है। इन संशोधनों से वक्फ बोर्ड अधिक सक्षम, पारदर्शी और जवाबदेह होगा। केंद्र सरकार कैग के जरिये ऑडिट करा सकेगी, और वक्फ जमीनों को राजस्व विभाग में रजिस्टर्ड कराने से पारदर्शिता आएगी।
न्याय के लिए अदालत जाने का मौका मिलेगा, और ट्रिब्यूनल के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। पुराना कानून मुसलमानों को बांटने वाला था, इसलिए हमें नए सर्वसमावेशी कानून का स्वागत करना चाहिए, क्योंकि बदलाव समय की जरूरत है।