सुप्रीम कोर्ट: मैला प्रथा उन्मूलन - अब और नहीं!
सुप्रीम कोर्ट ने मैनुअल स्कैवेंजिंग को पूरी तरह से खत्म करने का निर्देश दिया है और मेट्रो शहरों के अधिकारियों को मैनुअल स्कैवेंजिंग के कारण हुई मौतों के पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने का आदेश दिया है। अदालत ने दिल्ली जल बोर्ड और बेंगलुरु के BBMP को फटकार लगाई और मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर स्पष्टीकरण मांगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सीवर लाइन की सफाई और मरम्मत के दौरान मजदूरों की मौत को मैनुअल स्कैवेंजिंग से अलग नहीं किया जा सकता।

अदालत ने मेट्रो शहरों के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि पिछले तीन महीनों में मैनुअल स्कैवेंजिंग के कारण हुई मौतों के पीड़ितों के परिवारों को चार सप्ताह के भीतर 30 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने मैनुअल स्कैवेंजिंग और खतरनाक सफाई कार्यों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।
कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड (DJB) को फटकार लगाते हुए कहा कि वह यह स्पष्ट करे कि मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। बेंगलुरु के BBMP के हलफनामे को भी गलत पाया गया, क्योंकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2023 और 2024 में भी मैनुअल स्कैवेंजिंग से मौतें हुई हैं।
हैदराबाद जल एवं सीवरेज बोर्ड ने तर्क दिया कि मौतें पुरानी पाइपलाइन की मरम्मत के दौरान हुईं, न कि मैनुअल स्कैवेंजिंग के कारण। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि सीवर लाइन की सफाई और मरम्मत के दौरान मजदूरों की मौत को अलग नहीं किया जा सकता।